लौटी चीन की पुरानी ‘वुल्फ वॉरियर कूटनीति’, जानें कैसे जापानी पीएम ने ड्रैगन को आग उगलने का मौका दे दिया?

China back on Wolf Warrior Diplomacy against Japan: ताइवान पर जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची के बयान से गुस्साए चीन ने तीखे शब्दों का सहारा लिया है, जिसमें एक चीनी राजनयिक जू जियान ने उनको गंदा सिर काटने जैसी धमकी दे दी. ताकाइची को पीएम बने अभी एक महीने भी नहीं हुए हैं, जो जापान और चीन के बीच चल रही सकारात्मक शुरुआत को अचानक समाप्त कर सकती है.

By Anant Narayan Shukla | November 14, 2025 4:48 PM

China Wolf Warrior Diplomacy against Japan: चीन ने अपनी पुराने दिनों की रणनीति को फिर से लागू कर दिया है. जापान के खिलाफ अपनी संप्रभुता का बचाव करने में ड्रैगन ने फिर से आग उगलना चालू कर दिया है. चीन ने जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के ताइवान पर दिए बयान पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी है, जो उसके आक्रामक वुल्फ वॉरियर कूटनीति की वापसी का संकेत देती है. ताकाइची ने सुझाव दिया था कि चीन द्वारा ताइवान की नाकाबंदी या कब्जा जापान के अस्तित्व के लिए खतरे की स्थिति हो सकता है. इस बयान पर चीनी डिप्लोमैट की टिप्पणी ने मामले की गंभीरता और कड़ी शब्दों ने नई तनातनी पैदा कर दी. अब इससे लग रहा कि ऐतिहासिक तनाव फिर से भड़क उठेंगे.

ताइवान पर जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची के बयान से गुस्साए चीन ने तीखे शब्दों का सहारा लिया है, जिसमें एक चीनी राजनयिक जू जियान ने उनको गंदा सिर काटने जैसी धमकी दे दी. ताकाइची को पीएम बने अभी एक महीने भी नहीं हुए हैं, जो जापान और चीन के बीच चल रही सकारात्मक शुरुआत को अचानक समाप्त कर सकती है. पिछले महीने ही उन्होंने दक्षिण कोरिया में चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, जहाँ दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाए और मुस्कुराते हुए बातचीत की थी. लेकिन यह घटना चीन की उस आक्रामक वुल्फ वॉरियर कूटनीति की वापसी का भी संकेत देती है, जो 2012 में शी के सत्ता में आने के बाद उभरी थी, लेकिन हाल के वर्षों में कम होती दिख रही थी.

द्वितीय विश्व युद्ध की यादें और गहरे तनाव

चीन और जापान के संबंध दशकों से उग्र विवादों से भरे रहे हैं, जिनकी जड़ें चीन के द्वितीय विश्व युद्ध के दर्दनाक अनुभवों में हैं, विशेषकर 1937 के नानजिंग नरसंहार में जापानी सेना की क्रूरता के अत्याचार पर. नानजिंग नरसंहार में 2 लाख से ज्यादा निहत्थे नागरिकों को मार डाला गया था और महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और प्रताणित किया गया. बीजिंग का मानना है कि उसने इन अपराधों के लिए कभी पर्याप्त रूप से माफी नहीं मांगी. इसके अलावा चीन, जापान के साथ सेनकाकू द्वीप को लेकर भी तनाव की स्थिति में है. लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी ताइवान है, जिस पर वह 1949 से कब्जा करने की कोशिश में लगा है. 

ताजा विवाद शुक्रवार को तब शुरू हुआ जब ताकाइची ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में “जीवन-खतरे की स्थिति” पर टिप्पणी की. जापानी कानून के अनुसार, ऐसी स्थिति देश की सैन्य शक्तियों के उपयोग की मंजूरी देती है. ताकाइची ने कहा कि चीन द्वारा ताइवान की नाकाबंदी या कब्जे का प्रयास, जो जापानी क्षेत्र से सिर्फ 70 मील दूर है और जापान की आर्थिक सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर स्थित है. उन्होंने संसद में कहा, “अगर इसमें युद्धपोतों का इस्तेमाल और बल प्रयोग शामिल है, तो किसी भी नजरिए से यह एक अस्तित्वगत खतरा माना जा सकता है.” हालांकि सोमवार को उन्होंने थोड़ी सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान का मतलब सरकारी नीति में बदलाव नहीं है.

चीन की तीखी प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्रालय ने उनके स्पष्टीकरण को भी अपर्याप्त बताते हुए मांग की कि वह अपने बयान वापस लें. मंत्रालय ने गुरुवार को शिकायत की कि वह अडिग और अप्रतिवर्ती बनी हुई हैं. चीन के प्रवक्ता ने जापान द्वारा ताइवान पर औपनिवेशिक शासन (1945 से पहले) के दौरान किए गए अनगिनत अपराधों का हवाला देते हुए इसे विदेशी आक्रामकता के लिए बहाना बताया.

चीनी राष्ट्रवादी और टिप्पणीकार हू शीजिन ने सोशल मीडिया पर ताकाइची को दुष्ट चुड़ैल कहा और आरोप लगाया कि उन्होंने “चीनी और जापानी जनता के बीच नई नफरत की आग भड़का दी है.” चीन के सरकारी प्रसारक सीसीटीवी ने इस सप्ताह एक टिप्पणी में चेतावनी दी कि ताइवान पर हस्तक्षेप करने वाले जापानी नेता “अपनी कब्र खुद खोदने के लिए अभिशप्त हैं.” इसमें कहा गया, “जो आग जलाएगा, वह उसी में जलेगा.” टिप्पणी में ताकाइची के बयान की तुलना 1931 में जापान के मंचूरिया पर हमले से की गई.

चीनी राजनयिक की धमकी और जापान की नाराजगी

ताकाइची, जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं. वे ताइवान की मुखर समर्थक रही हैं. उन्होंने पिछले महीने दक्षिण कोरिया में हुए क्षेत्रीय सम्मेलन में ताइवान के प्रतिनिधि से मुलाकात भी की थी, जिसे चीन ने कठोर शब्दों में आलोचना की. लेकिन उनकी ताइवान के संबंध में अपनी संसद में की गई टिप्पणी पर चीन ज्याद भड़क गया. ताकाइची के बयान के जवाब में ओसाका स्थित चीन के वाणिज्य दूत शुए जियान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जापानी भाषा में लिखा, “जो गंदा सिर खुद आगे बढ़कर आया है, उसे बिना झिझक काट दिया जाएगा. क्या आप इसके लिए तैयार हैं?”

जापान में सत्ताधारी और विपक्ष दोनों के नेताओं ने इसे एक मौत की धमकी बताया और शुए की देश से बाहर निकाले जाने की मांग की. हालांकि चीनी राजनयिक ने बाद में अपना पोस्ट हटा दिया. लेकिन चीन ने अपने राजनयिक का बचाव किया. उसने कहा कि यह ताकाइची के कमेंट के जवाब में था. विवाद बढ़ा और चीन की चिंता जाहिर हो गई. अब वह धमकी की स्पष्ट पर उतर आया है. 

इस साल द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर आयोजित परेड में चीन ने अपनी आक्रामकता दिखाई. उसने जापान पर युद्ध अपराध को छिपाने का आरोप लगाया. इसके जवाब में उसने जापान पर तीखे बयान देने शुरू किए. चीन ने इस साल द्वितीय विश्व युद्ध से संबंधित 4 फिल्में रिलीज की हैं, जिनमें नानजिंग नरसंहार को बताया गया है और जापानी जहाज डूबने की घटनाओं को भी प्रमुखता से दिखाया गया है.

जापान की नीति में सूक्ष्म बदलाव, लेकिन गहरा प्रभाव

हालाँकि ताकाइची का बयान जापान की पुरानी ताइवान समर्थक नीति में बड़ा बदलाव नहीं था, लेकिन उन्होंने पहली बार जीवन-खतरे की स्थिति के संदर्भ में ताइवान का स्पष्ट उल्लेख किया, जिससे पहले जापान परहेज करता था. अमेरिका की तरह जापान भी रणनीतिक अस्पष्टता की नीति अपनाता था. यहाँ तक कि ताकाइची के राजनीतिक गुरु और पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भी ताइवान संकट की स्थिति में जापान की भूमिका को कभी साफ नहीं किया था. आबे को चीन पर कठोर रुख रखने के लिए जाना जाता था. हाल के वर्षों में जापानी नेतृत्व बस इतना कहता रहा है कि “ताइवान का संकट, जापान का संकट है.”

चीन, जापान द्वारा ताइवान पर दिए गए बयानों को लेकर बेहद संवेदनशील है. जापान ने 1895 से 1945 तक ताइवान पर शासन किया और वहाँ एक शिक्षित वर्ग पीछे छोड़ा, जो चीन से अधिक जापान के करीब महसूस करता था. ताइवान के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति ली तेंग-हुई फ्लूएंट जापानी बोलते थे. उनको बीजिंग अक्सर जापानी एजेंट कहता था. हांगकांग के राजनीतिक वैज्ञानिक जीन-पियरे कैबेस्टन ने इस विवाद को “वुल्फ वॉरियर कूटनीति की स्पष्ट वापसी” कहा. उन्होंने कहा, “ताकाइची ने जो कहा वह तथ्य है. अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो जापान के लिए संघर्ष से बाहर रहना असंभव होगा. मानचित्र देख लीजिए.”

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