पृथ्वी के बेहद करीब से गुजर रहा है यह उल्कापिंड, अब इतने साल बाद फिर होगा धरती के बेहद करीब

आकार में बुर्ज खलीफा जितना बड़ा एक विशालकाय एस्ट्रायड पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है. क्या ये धरती से टकरा सकता है. पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की निगाहें इस वक्त अंतिरक्ष में इसी को निहार रही हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | November 29, 2020 1:01 PM

आज से करोड़ों साल पहले एक बड़ा उल्का पिंड ने पृथ्वी को विरान बना दिया था. उस समय धरती पर मौजूद अबतक के सबसे बड़े क्रिएचर डायनोसॉरस का उस उल्कापिंड ने नामोनिशान मिटा दिया था. अब एक बार फिर धरती खतरे में है, जी हां… आकार में बुर्ज खलीफा जितना बड़ा एक विशालकाय एस्ट्रायड पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है. क्या ये धरती से टकरा सकता है. पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की निगाहें इस वक्त अंतिरक्ष में इसी को निहार रही हैं.

यह उल्कापिंड 800 मीटर से अधिक ऊंचा है और 500 मीटर से अधिक चौड़ा है, वह 29 नवंबर यानी आज 90,000 किमी/घंटा की गति से पृथ्वी के पास से गुजरेगा. इस एस्ट्रायड का नाम 2000 WO107 है. खास बात है कि इस एस्ट्रॉयड का आकार बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) के लगभग बराबर है. बता दें, बुर्ज खलीफा दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग है. इसकी ऊंचाई 829.8 मीटर है.

नासा के वैज्ञानिकों ने इस एस्ट्रॉयड को नीयर अर्थ एस्ट्रॉयड वर्ग में रखा है. नीयर अर्थ एस्ट्रॉयड (NEA) दरअसल ऐसे कॉमेट्स और एस्ट्रॉयड्स का ऐसा समूह होता है, जो अपने पास के ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण उसकी ऑर्बिट में आ जाते हैं. इसी कारण 2000 WO107 धरती के करीब आ गया है. चूंकि यह धरती के बेहद करीब से गुजर रहा है इसलिए नासा के जेट प्रोपल्शन लैब ने इसे काफी खतरनाक बताया है.

2000 WO107 एस्ट्रॉयड को पहली बार 13 जनवरी 2018 को देखा गया था. 29 नवंबर के बाद उम्मीद की जा रही है कि यह पृथ्वी के इतना करीब से 6 फरवरी 2031 को गुजरेगा. ऐसे में वैज्ञानिकों को यह डर भी सता रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि धरती के गुरुत्वकर्षण शक्ति के कराण यह उसकी ओर खिंचा न जाये.

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मिसाइल से कई गुणा ज्यादा स्पीड : 2000 WO107 एस्ट्रॉयड की स्पीड मिसाइल (Missile) से कई गुणा ज्यादा है. मिसाइल की औसत गति 4000-5000 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जबकि इस उल्कापिंड की गति करीब 92 हजार किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा है. गौरतलब है कि इस साल कई खतरनाक धुमकेतू धरती के करीब से गुजरी हैं. गनीमत यह रही कि कोई भी उल्कापिंड धरती से टकराया नहीं.

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Posted by: Pritish sahay

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