व्हाइट हाउस फ्री में लंच नहीं कराता, क्या पाकिस्तान बन रहा है अमेरिका की अगली जंग का मोहरा?

Asim Munir Donald Trump Meeting: पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को लेकर रणनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. यह पहली बार है जब किसी पाकिस्तानी जनरल को अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुलाया. माना जा रहा है कि इस बैठक का एजेंडा मिडल ईस्ट की जंग से जुड़ा है.

By Aman Kumar Pandey | June 20, 2025 4:16 PM

Asim Munir Donald Trump Meeting: पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हालिया मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं और आशंकाएं सामने आ रही हैं. खास बात यह है कि जनरल मुनीर को हाल ही में पाकिस्तान ने “फील्ड मार्शल” की उपाधि दी है, और यह पहली बार है जब किसी पाकिस्तानी सेना प्रमुख को अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया हो. आमतौर पर इस स्तर की बातचीत देशों के राजनीतिक समकक्षों के बीच होती है, जैसे कि राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से राष्ट्रपति. ऐसे में एक सैन्य अधिकारी को बुलाकर हुई मुलाकात को साधारण नहीं माना जा रहा.

पाकिस्तानी अबार ‘डॉन’ में छपे विश्लेषण के अनुसार, इस बैठक को लेकर कई तरह की व्याख्याएं की जा रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार बाकिर सज्जाद ने अपने लेख में लिखा है कि व्हाइट हाउस में होने वाली कोई भी लंच मीटिंग बिना किसी कारण के नहीं होती  “फ्री लंच” जैसी कोई चीज नहीं होती, खासकर वाशिंगटन में. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान ने हाल ही में ईरान के प्रति नैतिक समर्थन का संकेत दिया था, और शायद उसी संदर्भ में यह बैठक कराई गई हो. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका इस्लामाबाद को ईरान-इजरायल संघर्ष में किसी तरह से शामिल करना चाहता है कि चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या लॉजिस्टिक स्तर पर.

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ट्रंप के बयान से भी इस बैठक का मकसद काफी हद तक स्पष्ट होता है. उन्होंने कहा कि जनरल मुनीर “ईरान को बहुत अच्छे से जानते हैं” और यह भी जोड़ा कि “वे ईरान में चल रही घटनाओं से खुश नहीं हैं”, साथ ही यह भी कहा कि उनका इजराइल से कोई बैर नहीं है. ट्रंप की इन बातों से साफ होता है कि वाशिंगटन की नजर पश्चिम एशिया (Middle East) में पाकिस्तान की भूमिका पर है और वह इस्लामाबाद को किसी रणनीतिक योजना में शामिल करना चाहता है.

डॉन की रिपोर्ट इस बात को लेकर भी चिंतित है कि इस अहम बैठक में पाकिस्तान की ओर से कोई राजनीतिक प्रतिनिधि मौजूद नहीं था. ट्रंप के साथ अमेरिकी सीनेटर मार्को रूबियो और मध्य एशिया मामलों के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ भी मौजूद थे. लेकिन पाकिस्तान की तरफ से सिर्फ सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक ही शामिल हुए. यह असंतुलन बताता है कि यह वार्ता राजनीतिक नहीं बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक एजेंडे पर केंद्रित थी.

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इस मीटिंग को एक घंटे का बताया गया था, लेकिन यह करीब दो घंटे तक चली. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें कई गहरे और संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत हुई होगी. विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान इस समय ईरान और अमेरिका दोनों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है. एक ओर वह ईरान के साथ नैतिक समर्थन दिखा रहा है, वहीं दूसरी ओर वह अमेरिका की नाराजगी से भी बचना चाहता है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) में ईरान की निंदा के मुद्दे पर पाकिस्तान की अनुपस्थिति भी इसी कूटनीतिक संतुलन का उदाहरण मानी जा रही है.

कुल मिलाकर, यह मुलाकात केवल एक औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि इसके जरिए अमेरिका ने पाकिस्तान को एक रणनीतिक भूमिका में शामिल करने का प्रयास किया है. और जैसा कि डॉन में लिखा गया है कि व्हाइट हाउस में फ्री लंच नहीं होते.