कश्मीर मामले पर सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान को सिर्फ चीन का मिला समर्थन

संयुक्त राष्ट्र/इस्लामाबाद : जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने के मामले पर हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के मद्देनजर एक प्रमुख पाकिस्तानी समाचार पत्र ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में सिर्फ चीन का ही "खुला समर्थन" हासिल है. उसने कहा कि सुरक्षा परिषद के अधिकतर देश पाकिस्तान का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 17, 2019 5:47 AM
संयुक्त राष्ट्र/इस्लामाबाद : जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने के मामले पर हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के मद्देनजर एक प्रमुख पाकिस्तानी समाचार पत्र ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में सिर्फ चीन का ही "खुला समर्थन" हासिल है. उसने कहा कि सुरक्षा परिषद के अधिकतर देश पाकिस्तान का समर्थन करते प्रतीत नहीं होते.
भारत, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से बता चुका है कि जम्मू-कश्मीर से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाकर उसका विशेष दर्जा खत्म करना देश का अंदरूनी मामला है और पाकिस्तान इस वास्तविकता को स्वीकार करे. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से खबर दे रहे पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘डॉन’ के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी दूत मलीहा लोधी और उनकी टीम इस महीने के आरंभ से ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को यह समझाने में जुटी है कि कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के भारत के फैसले से दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता को किस तरह खतरा है.
समाचार पत्र के अनुसार, "लेकिन सुरक्षा परिषद के मौजूदा सदस्य पाकिस्तान के समर्थन में नजर नहीं आ रहे. " जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा के पाकिस्तान के अनुरोध पर चीन ने यह बैठक बुलाई है.
समाचार पत्र के मुताबिक सुरक्षा परिषद के शेष चार सदस्य ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं. अखबार के मुताबिक 10 अस्थायी सदस्यों बेल्जियम, कोटे डि आइवर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गिनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरु, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका में से इंडोनेशिया और कुवैत ने ही अतीत में पाकिस्तान से सहानुभूति दिखाई है, लिहाजा चीन के अनुरोध पर शेष देशों को मनाना काफी मुश्किल काम होगा.
इसी बीच द न्यूज इंटरनेशनल अखबार ने कहा है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करना चाहता है लेकिन ऑर्गेनाइजेश ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन और मुस्लिम देशों से उसे मजबूत प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है.

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