होली की बहार आयी, फरहत की खिलीं कलियां

नजीर अकबराबादी होली की बहार आयी फरहत की खिलीं कलियां बाजों की सदाओं से कूचे भरे और गलियां दिलबर से कहा हमने टुक छोड़िए छलबलियां अब रंग गुलालों की कुछ कीजिय रंग रलियां होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥ है सब में मची होली अब तुम भी यह चर्चा लो रखवाओ अबीर ऐ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 20, 2019 6:11 AM
नजीर अकबराबादी
होली की बहार आयी फरहत की खिलीं कलियां
बाजों की सदाओं से कूचे भरे और गलियां
दिलबर से कहा हमने टुक छोड़िए छलबलियां
अब रंग गुलालों की कुछ कीजिय रंग रलियां
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
है सब में मची होली अब तुम भी यह चर्चा लो
रखवाओ अबीर ऐ जां! और मैय को भी मंगवाओ
हम हाथ में लोटा लें तुम हाथ में लुटिया लो
हम तुमको भिंगो डालें तुम हमको भिंगो डालो
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
है तर्ज जो होली की उस तर्ज हंसो-बोलो
जो छेड़ हैं इश्रत की अब तुम भी वही छेड़ो
हम डालें गुलाल ऐ जां! तुम रंग इधर छिड़को
हम बोलें ‘अहा हा हा’ तुम बोलो “उहो हो हो”
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
इस दम तो मियां हम तुम इस ऐश की ठहरावें
फिर रंग से हाथों में पिचकारियां चमकावें
कपड़ों को भिगो डालें और ढंग कई लावें
भीगे हुए कपड़ों से आपस में लिपट जावें
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
हम छेड़ें तुम्हें हंस हंस, तुम छेड़ की ठहरा दो
हम बोसे भी ले लेवें तुम प्यार से बहला दो
हम छाती से आ लिपटें तुम सीने को दिखला दो
हम फेकें गुलाल ऐ जां! तुम रंग को छलका दो
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
यह वक्त खुशी का है मत काम रखो रम से
ले रंग गुलाल ऐ जां! और नाज की खम चम से
हंस हंस के बहम लिपटें इस ऐश के आलम से
हम ‘छोड़’ कहें तुमसे, तुम ‘छोड़’ कहो हमसे
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
कपड़ों पे जो आपस में अब रंग पड़े ढलकें
और पड़के गुलाल ऐ जां! रंगीं हों भवें पलकें
कुछ हाथ इधर तर हों कुछ भीगें उधर अलकें
हर आन हंसे कूदें, इश्रत के मजे झलकें
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
तुम रंग इधर लाओ और हम भी उधर आवें
कर ऐश की तैयारी धुन होली की बर लावें
और रंग से छीटों की आपस में जो ठहरावें
जब खेल चुकें होली फिर सीनों से लग जावें
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥
इस वक्त मुहैया है सब ऐशो-तरब की शै
दफ बजते हैं हर जानिब और बीनो-रुबावो नै
हो तुम में भी और हममें होली की है जो कुछ रै
सुन कर यह ‘नजीर’ उसने हंस कर यह कहा
‘सच है’
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियां॥

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