ऑनलाइन प्लेटफॉर्म देगा उद्यमियों को मौका

भारत के पूर्वोत्तर में एक बेहद खूबसूरत जगह है, मोकोकचुंग. यहां जाने का रास्ता दुर्गम और थका देनेवाला है. यह इलाका शॉल तथा बांस के उत्पादों के लिए जाना जाता है. लेकिन, यहां का स्थानीय ऑर्गेनिक चावल और पैशन फ्रूट भी पूरे राज्य में प्रसिद्ध है.

By Prabhat Khabar | August 15, 2020 7:14 AM

मधुरेंद्र सिन्हा, वरिष्ठ टिप्पणीकार

भारत के पूर्वोत्तर में एक बेहद खूबसूरत जगह है, मोकोकचुंग. यहां जाने का रास्ता दुर्गम और थका देनेवाला है. यह इलाका शॉल तथा बांस के उत्पादों के लिए जाना जाता है. लेकिन, यहां का स्थानीय ऑर्गेनिक चावल और पैशन फ्रूट भी पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. पर, यहां के किसान चाहकर भी इन्हें राज्य से बाहर नहीं भेज पाते हैं. लेकिन अब इ-कॉमर्स के जरिये वे अपने उत्पाद भारत के कोने-कोने में भेज सकते हैं.

यही बात अब लेह, कुल्लू, गडक, नागपट्टिनम जैसे सैकड़ों छोटे और कुछ हद तक दुर्गम स्थानों के बारे में कही जा सकती है. वहां के उद्यमी भी अब इ-कॉमर्स के जरिये अपने उत्पाद देश के साथ विदेशों में भी भेज रहे हैं. एमेजॉन प्राइम के इस बार के सेल में जिन 91,000 छोटे और मंझोले विक्रेताओं ने भाग लिया, उनमें 62 हजार से भी ज्यादा विक्रेता मध्यम और छोटे शहरों के हैं. इस सेल से इनके उत्पादों के बारे में ग्राहकों को पता चला.

इसी तरह, अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने भी उद्यमियों और उत्पादकों को कारोबार करने का बड़ा मौका दिया है. दिल्ली-मुंबई ही नहीं, टीयर-2 और 3 शहरों में भी आज गारो हिल्स या उत्तराखंड के उद्यमियों के उत्पाद पहुंच सकते हैं. उत्पादक-विक्रेता समय पर पैसे मिलने को लेकर आश्वस्त रहते हैं. इस पूरे चेन में बिचौलियों का सफाया हो गया है. विक्रेता, कारीगर और ग्राहक आमने-सामने हैं. यह उन इलाकों को सशक्त करने के साथ ही, रोजगार को भी बढ़ावा देगा.

छोटे स्तर पर कारीगरों और उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी प्रयास हो रहे हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान से सबसे ज्यादा उम्मीदें खादी विकास और ग्रामोद्योग से जगी हैं. भारत में हर दिन 1500 टन अगरबत्ती की मांग है, लेकिन कुल उत्पादन 750 टन है. शेष चीन और वियतनाम से आयात होता है. मशीनों के जरिये इसके उत्पादन को बढ़ाकर लाखों को रोजगार दिया जा सकता हैं.

खादी विकास और ग्रामोद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना के अनुसार, खादी आत्मनिर्भर अभियान के जरिये देश में न केवल बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हो रहा है, बल्कि अगरबत्ती मिशन में कारीगरों को कच्चा माल उपलब्ध कराना, ऑटोमैटिक मशीनों की व्यवस्था कराना, उन्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाने जैसा काम भी कर रहा है. देश के करोड़ों कारीगरों और उद्यमियों के पास उपयुक्त टेक्नोलॉजीं या मशीनें नहीं हैं.

इसलिए देश में बनी सस्ती मशीनें उन्हें उपलब्ध करायी जा रही हैं, ताकि उनकी उत्पादन क्षमता बढ़े. कुम्हार सशक्तीकरण योजना के तहत उन्हें पॉटर व्हील्स दिये जा रहे हैं, ताकि कम समय में ज्यादा माल तैयार हो सके. इस तरह की छोटी-छोटी मशीनें हर काम के लिए बनायी जा रही हैं, जिससे उत्पादन बढ़े और रोजगार भी.

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