ऐसे कम होता गया बिहार का राजकोषीय घाटा

राज्य ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन का परिचय देते हुए अपने राजकोषीय घाटा को एफआरबीएम एक्ट के तीन प्रतिशत के मानक के अंदर रखा है. वर्तमान में यह 2.9 प्रतिशत है. सरकार का प्राथमिक घाटा 2016-17 के दौरान 8,289 करोड़ था, जो 2017-18 में घटकर पांच हजार 251 करोड़ हो गया. इस कारण सकल राजकोषीय घाटा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 12, 2019 9:00 AM
राज्य ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन का परिचय देते हुए अपने राजकोषीय घाटा को एफआरबीएम एक्ट के तीन प्रतिशत के मानक के अंदर रखा है.
वर्तमान में यह 2.9 प्रतिशत है. सरकार का प्राथमिक घाटा 2016-17 के दौरान 8,289 करोड़ था, जो 2017-18 में घटकर पांच हजार 251 करोड़ हो गया. इस कारण सकल राजकोषीय घाटा 2016-17 के 16 हजार 480 करोड़ से घटकर 2017-18 में 14 हजार 305 करोड़ पर पहुंच गया. इस कमी आने के कारण ही राजकोषीय घाटा तीन फीसदी के अंदर नियंत्रित हो पाया है.
राज्य टैक्स संग्रह बढ़ा 70 प्रतिशत, केंद्रीय मदद भी बढ़ी : राज्य के सभी आंतरिक टैक्स संग्रह स्रोतों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. टैक्स संग्रह में 2013-14 के दौरान 19,961 करोड़ प्राप्त हुए थे. 2017-18 के दौरान यह बढ़कर 23,742 करोड़ हो गया. इसी वित्तीय वर्ष के दौरान गैर-टैक्स संग्रह में बढ़ोतरी 1545 करोड़ से बढ़कर 3,507 करोड़ रुपये हो गयी है.
वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान कुल राजस्व संग्रह 68,919 करोड़ हुआ था, जो 2017-18 के दौरान एक लाख 17 हजार 447 करोड़ हो गया. इसमें 70% की बढ़ोतरी है. केंद्रीय टैक्स पुल से राज्य को मिलने वाली हिस्सेदारी में भी बढ़ी है. इस मद में 2013-14 के दौरान 34,829 करोड़ रुपये मिले थे, जो 2017-18 में बढ़कर 65083 करोड़ हो गया. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में मिलने वाले ग्रांट में भी दोगुना बढ़ोतरी हुई है.
एफआरबीएम मानक को 3.5 प्रतिशत करने की मांग
वित्त मंत्री ने कहा कि एफआरबीएम एक्ट के मानक को तीन फीसदी से बढ़ाकर साढ़े तीन प्रतिशत करने की मांग 15वीं वित्त आयोग से की गयी है. बिहार ने अपने राजकोषीय घाटा को सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसदी के दायरे में रखकर इस मानक को बनाये रखा, लेकिन आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे नौ राज्यों का राजकोषीय घाटा तीन फीसदी से कहीं ज्यादा है.
ये राज्य रेवेन्यू डिफिसिट वाले राज्यों की श्रेणी में हैं. इस वजह से 14वें वित्त आयोग ने इन राज्यों के बीच एक लाख 94 हजार करोड़ रुपये रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के रूप में वितरित किये हैं. अगर बिहार का भी राजकोषीय घाटा अधिक होता, तो उसे इसके तहत ग्रांट मिलता. परंतु बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण बिहार को यह ग्रांट नहीं मिला. हालांकि इस तरह के ग्रांट को खत्म करने की सिफारिश वित्त आयोग से की गयी है.
मामले ही 2018 -19 में दूसरी विवाह के दर्ज हुए हैं. सामाजिक सशक्तीकरण के अंतर्गत संचालित महिला हेल्प लाइन में 2016-17 में 88, 2017-18 में 101 मामले दर्ज किये गये थे. कार्यालय और अन्य स्थानों पर यौन उत्पीड़न के मामले भी कम हुए हैं. 2016-17 में 98, 2017-18 में 148 मामले आये. चालू साल में सितंबर तक 68 मामले ही दर्ज हुए हैं. मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत सरकार घरेलू हिंसा और मानव व्यापार की शिकार महिला और किशोरियों को मुफ्त सामाजिक-मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता उपलब्ध करायी जा रही है. राज्य में 38 हेल्प लाइनों में 24 घंटे सेवा दी जा रही है.

Next Article

Exit mobile version