World Water Day : भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच

जल ही जीवन है, यह बात हम बचपन से सुनते आये हैं, बावजूद इसके जल की महत्ता को हम आज भी समझ नहीं पाये हैं. पूरी धरती पर पीने योग्य पानी मात्र दो दशलव आठ प्रतिशत ही शेष है, यही कारण है कि आज जल संरक्षण पर बहुत जोर दिया जा रहा है. वैज्ञानिकों का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 21, 2017 4:55 PM

जल ही जीवन है, यह बात हम बचपन से सुनते आये हैं, बावजूद इसके जल की महत्ता को हम आज भी समझ नहीं पाये हैं. पूरी धरती पर पीने योग्य पानी मात्र दो दशलव आठ प्रतिशत ही शेष है, यही कारण है कि आज जल संरक्षण पर बहुत जोर दिया जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी की बर्बादी के कारण पेयजल की मात्रा लगातार घट रही है. इसलिए हमें यह बात अच्छे से समझने होगी कि पृथ्वी पर मानव के लिए असीमित मात्रा में जल नहीं है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम पानी का संरक्षण करें और उसे प्रदूषित होने से बचायें ताकि पृथ्वी पर पेयजल की उपलब्धता बनी रहे.

भारत के पास विश्व की समस्त भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही है जबकि विश्व की जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत भारत में निवास करता है. जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ रहा है. जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेयजल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लोग वंचित होते जा रहे हैं. भारत में अभी तक 75.8 मिलियन लोगों तक सुरक्षित पेयजल नहीं पहुंच पाया है.

भारत के करोड़ों लोग आज भी दूषित जल पीने के लिए मजबूर हैं. उन्हें या गंदा पानी पीना पड़ता है या फिर पानी खरीदना पड़ता है. गरमी के दिनों में समस्या और भी बढ़ जाती है. अगर देश में जल संरक्षण सही तरीके से हो और बारिश का पानी व्यर्थ ना जाये तो संभवत: इस समस्या का समाधान हो जाये.

Next Article

Exit mobile version