विवादास्पद मुद्दों को बातचीत के जरिये सुलझाये भारत-पाक : अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच हाल में पैदा हुआ तनाव कम करने के लिए दोनों देशों से वार्ता एवं सहयोग बढाने की अपील करते हुए कहा है कि उन्हें अपने ‘‘विवादास्पद मसले’ सुलझाने के लिए ‘‘सुलह समझौता करने का दृष्टिकोण’ अपनाना चाहिए. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2016 11:30 AM

वाशिंगटन : अमेरिका ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच हाल में पैदा हुआ तनाव कम करने के लिए दोनों देशों से वार्ता एवं सहयोग बढाने की अपील करते हुए कहा है कि उन्हें अपने ‘‘विवादास्पद मसले’ सुलझाने के लिए ‘‘सुलह समझौता करने का दृष्टिकोण’ अपनाना चाहिए. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने कल अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस मामले में हमारा आम नजरिया यह है कि हम भारत एवं पाकिस्तान के बीच वार्ता और सहयोग बढते देखना चाहते हैं.’

टोनर ने कहा, ‘‘सच कहूं तो इससे दोनों देशों को लाभ होगा. इनमें निश्चित रूप से सुरक्षा मामले शामिल हैं. हम तनाव कम होते देखना चाहते हैं और हम दोनों देशों के बीच सहयोग बढते देखना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा कि कश्मीर पर अमेरिकी की स्थिति में बदलाव नहीं हुआ है. कई वर्षों के युद्ध के बाद एक स्थिर एवं सुरक्षित अफगानिस्तान को उभरते देखना भारत एवं पाकिस्तान दोनों के हित में होगा.
टोनर ने कहा, ‘‘नि:संदेह भारत एवं पाकिस्तान के बीच कई विवादपूर्ण मसले हैं लेकिन हम क्षेत्रीय सुरक्षा के हित में दोनों को प्रोत्साहित करेंगे कि वे एक दूसरे के प्रति सुलह समझौते का दृष्टिकोण अपनाएं और क्षेत्र की भलाई के लिए इनमें से कुछ मसलों को सुलझाने पर काम करें.’ दो पाकिस्तानी दूतों ने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों संबंधी एक डोजियर पिछले सप्ताह अमेरिकी विदेश मंत्रालय को दिया था. जब टोनर से यह पूछा गया कि क्या इसे विदेश मंत्रालय की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा, तो उन्होंने कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में बात नहीं कर सकता कि हम इसे शामिल करेंगे या नहीं. हम मानवाधिकार रिपोर्ट -हमारी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट- का संकलन करते समय विभिन्न स्रोतों से सूचना मांगते और प्राप्त करते हैं और हम इस सूचना की विश्वसनीयकता की जांच करते हैं.’ टोनर ने कहा, ‘‘यदि मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में कोई विश्वसनीय आरोप लगाए जाते हैं तो हम उनकी जांच करेंगे. मैं इस बारे में बात नहीं कर सकता कि इन आरोपों को रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा या नहीं.’