पढें, क्यों खास है साउथ चायना सी और क्यों बढ़ा तनाव

बीजिंग/द हेग : दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर चीन के दावों को मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया. एससीएस के 90 प्रतिशत हिस्सों पर चीन दावा करता है. न्यायाधिकरण ने कहा कि ‘नाइन-डैश लाइन’ में पड़नेवाले समुद्री क्षेत्र पर ऐतिहासिक अधिकारों के दावे के लिए चीन के पास कोई […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 13, 2016 8:55 AM

बीजिंग/द हेग : दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर चीन के दावों को मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया. एससीएस के 90 प्रतिशत हिस्सों पर चीन दावा करता है. न्यायाधिकरण ने कहा कि ‘नाइन-डैश लाइन’ में पड़नेवाले समुद्री क्षेत्र पर ऐतिहासिक अधिकारों के दावे के लिए चीन के पास कोई कानूनी आधार नहीं है. ‘नाइन- डैश लाइन’ 1940 के दशक के एक चीनी नक्शे पर आधारित है.

न्यायाधिकरण ने कहा कि चीनी नाविक, मछुआरे और दूसरे देशों के भी मछुआरों ने एससीएस में द्वीपों का ऐतिहासिक रूप से इस्तेमाल किया है, लेकिन इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि चीन का इसके जलक्षेत्र पर या उसके संसाधनों पर ऐतिहासिक रूप से विशेष नियंत्रण था. न्यायाधिकरण का यह फैसला फिलीपींस द्वारा दायर याचिका की सुनवाई में आया है. हालांकि, फैसला आने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने न्यायाधिकरण की व्यवस्था खारिज कर दिया और कहा कि बीजिंग किसी भी हाल में फैसले को स्वीकार नहीं करेगा.

एससीएस में चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता व समुद्री हित किसी भी परिस्थिति में इस व्यवस्था से प्रभावित नहीं होंगे. इस बीच, बीजिंग में पुलिस ने फिलीपींस दूतावास की इमारत के आसपास के इलाके को सील कर दिया. मध्यस्थता की कार्रवाई शुरू कराने के मनीला के फैसले के विरोध में प्रदर्शनों की अटकलों के बीच भारी बल तैनात किया गया. हालांकि, फिलीपींस ने संयुक्त राष्ट्र समर्थित न्यायाधिकरण की व्यवस्था का स्वागत किया और चीन में बसे अपने नागरिकों को इस फैसले पर बात नहीं करने और बहस से बचने की सलाह दी है. वहीं, अमेरिका ने दोनों देशों से फैसले मानने को कहा है.

फैसला मानने से चीन का इनकार

भौगोलिक स्थिति : दक्षिण चीन सागर प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है. यह समुद्री इलाका सिंगापुर और मलक्का जलडमरूमध्य से लेकर ताइवान जलडमरूमध्य तक 35 लाख वर्ग किमी में फैला है. चीन के दक्षिण से ताइवान द्वीप तक और मलयेशिया के उत्तर पश्चिम से ब्रुनोई तक, इंडोनिशिया के उत्तर में, मलयेशिया और सिंगापुर के उत्तर-पूर्व में और वियतनाम के पूर्व में यह समुद्री इलाका स्थित है.

विवाद की वजह

दक्षिण चीन सागर में स्थित दो बड़े द्वीपसमूह स्प्राटली और पारासेल को लेकर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलयेशिया, ब्रूनेई और ताइवान में विवाद चल रहा है. पारासेल द्वीपसमूह पर 1974 तक चीन और वियतनाम का कब्जा था. 1974 में दक्षिण वियतनाम और चीन के बीच झड़प के बाद वियतनाम के 14 सैनिक मारे गये और चीन ने इस पूरे द्वीप पर कब्जा कर लिया.

क्यों बढ़ा तनाव

चीन दक्षिण चीन सागर में धीरे-धीरे कई कृत्रिम द्वीप बना लिया है. साथ ही यहां सेना के विमान भी उतारा है. उसने पिछले कुछ दिनों में पैरासेल्स और दक्षिण चीन के हैनान द्वीप के बीच नौसैनिक अभ्यास किये हैं. इसको लेकर अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला देते हुए नौवहन की आजादी की मांग करता है. हालांकि, चीन इसे संप्रभुता और स्वतंत्रता का हवाला देता है.

भारत का रुख

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि फिलीपींस गणराज्य व पीपुल्स रिपब्लिक और चीन से जुड़े मामले में न्यायाधिकरण के फैसले पर भारत ने गौर किया है और सावधानीपूर्वक इसका अध्ययन कर रहा है. चीन के समर्थन में पाक: पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान दूसरों पर किसी तरह के एकपक्षीय सोच को लागू करने का विरोध करता है. समुद्री कानून पर चीन के बयान का सम्मान करता है.

इसलिए खास है साउथ चायना सी

तेल और गैस के अकूत भंडार. यहां 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फुट नेचुरल गैस दबा है. दुनिया के एक तिहाई व्यापारिक जहाज इस समुद्र से गुजरते हैं. भारत का 55% समुद्री व्यापार इस मार्ग से. पूरी दुनिया सात ट्रिलियन डॉलर का सालाना कारोबार करती है.

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