‘मनहूस’ जैसी कोई बात नहीं होती

दक्षा वैदकर एक दिन राजा अकबर सुबह-सुबह नगर में घूमने निकले. उन्हें सबसे पहले एक व्यापारी मिला. व्यापारी ने उन्हें प्रणाम किया. आगे जाते ही अकबर को ठोकर लगी और उनके पैर में मोच आ गयी. राजा ने वैद्य को बुलाया. वैद्य ने एक माह आराम करने की सलाह दी. राजा की पत्नी ने मजाक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 6, 2015 6:06 AM
दक्षा वैदकर
एक दिन राजा अकबर सुबह-सुबह नगर में घूमने निकले. उन्हें सबसे पहले एक व्यापारी मिला. व्यापारी ने उन्हें प्रणाम किया. आगे जाते ही अकबर को ठोकर लगी और उनके पैर में मोच आ गयी. राजा ने वैद्य को बुलाया. वैद्य ने एक माह आराम करने की सलाह दी. राजा की पत्नी ने मजाक में कहा कि सुबह किसका चेहरा देखा था, जो इतना खराब दिन गया.
राजा ने दूसरे दिन व्यापारी को राज्यसभा में बुलाया. राजा ने कहा कि इस व्यापारी का चेहरा मनहूस है. सुबह मैं नगर में घूमने निकला था, तो यह मुङो मिला था और फिर मेरी यह हालत हुई थी. इसलिए मैं इस व्यापारी को मृत्युदंड देता हूं. व्यापारी ने राजा से माफी भी मांगी, लेकिन राजा ने उनकी एक भी न सुनी और कारावास में डाल दिया. जब बीरबल को इस घटना का पता चला, तो बीरबल ने कारावास जा कर व्यापारी से सारी घटना सुनी. बीरबल पूरी रात जागते रहे.
दूसरे दिन सुबह जब व्यापारी को सूली पर चढ़ाया जा रहा था, तब बीरबल ने महाराज से कहा कि आप अन्याय कर रहे हैं. अकबर ने कहा कि ये मनहूस है और इसको सूली पर चढ़ा कर नगर का भला ही कर रह हैं. बीरबल ने कहा कि इससे ज्यादा मनहूस तो आप हैं. इसका चेहरा देख कर आप के पैर में सिर्फ मोच आयी, लेकिन आपका चेहरा देख कर इसको तो मौत आ रही है. तब अकबर को होश आया कि ये मैं क्या करने जा रहा था. बीरबल ने कहा कि मनहूस तो अपने बुरे कर्म होते हैं. जिसकी वजह से हमें दुख होता है.
आज यह कहानी इसलिए क्योंकि आज के जमाने में भी कुछ लोग मनहूस जैसी बातों पर यकीन करते हैं. कुछ बुरा हो जाता है, तो याद करते हैं कि सुबह किसका चेहरा देखा था, बस फिर वह इनसान मनहूस की श्रेणी में चला जाता है. हम यह भूल जाते हैं कि हर इनसान का चेहरा भगवान ने खुद बनाया है. अगर किसी के जन्म लेते ही उसकी मां गुजर गयी या शादी के कुछ ही दिनों बाद किसी का पति गुजर गया, तो इसका अर्थ यह कैसे हो जाता है कि वह मनहूस है. जिसकी किस्मत में जो है, वह उसके साथ हो कर रहेगा.
बात पते की..
अकसर लोग कुरूप चेहरे वालों को मनहूस कहते हैं. हमें यह याद रखना होगा कि कल किसी वजह से हमारा चेहरा भी कुरूप हो सकता है.
आपके साथ हुई बुरी घटना की वजह सिर्फ आप हैं. आपके ही बुरे कर्म घूम कर आपके पास लौटते हैं. इसमें दूसरों को दोष देना बेकार है.

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