मुशर्रफ की सजा से पाक सेना नाखुश, इमरान ने बुलायी आपातकालीन बैठक

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ की सजा पर चर्चा करने के लिए बुधवार को अपनी पार्टी की कोर कमेटी की आपातकालीन बैठक बुलायी है. इससे एक दिन पहले वहां की शक्तिशाली सेना ने कहा था कि इस फैसले से सशस्त्र बलों में दर्द और पीड़ा है. बैठक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 18, 2019 7:27 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ की सजा पर चर्चा करने के लिए बुधवार को अपनी पार्टी की कोर कमेटी की आपातकालीन बैठक बुलायी है. इससे एक दिन पहले वहां की शक्तिशाली सेना ने कहा था कि इस फैसले से सशस्त्र बलों में दर्द और पीड़ा है.

बैठक में सेना प्रमुख की सेवाओं के विस्तार और चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा होगी. सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सूत्रों ने बताया कि खान मुशर्रफ की सजा के संबंध में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे. गौरतलब है कि खान ने विपक्ष में रहते हुए देशद्रोह के मामले में मुशर्रफ की सजा का समर्थन किया था. कई स्थानीय समाचार चैनल लगातार उनके पुराने साक्षात्कार के अंश दिखा रहे हैं. खान मंगलवार को ‘वैश्विक शरणार्थी मंच’ की बैठक में शामिल होने जिनेवा गये थे, जब पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ के अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 76 वर्षीय बीमार पूर्व सेना प्रमुख को देशद्रोह का दोषी पाया और मौत की सजा सुनायी. मुशर्रफ इस समय दुबई में रह रहे हैं.

मुशर्रफ को सजा सुनायी जाने पर सेना ने अपनी नाराजगी जतायी और कहा कि इस फैसले ने सैन्य बलों को दर्द और पीड़ा पहुंचायी है. सेना के मुशर्रफ का सार्वजनिक रूप से समर्थन किये जाने के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने इस फैसले के खिलाफ एक अपील की सुनवाई के दौरान सेवानिवृत्त जनरल का बचाव करने का निर्णय लिया है. उन पर संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवंबर 2007 में संविधानेतर आपातकाल लगाने का आरोप था. यह मामला 2013 से लंबित था. मुशर्रफ को सजा सुनाये जाने के बाद पाकिस्तान सेना ने कहा था कि पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ कभी भी देशद्रोही नहीं हो सकते और उनके खिलाफ विशेष अदालत के फैसले से पाकिस्तान की सशस्त्र सेना को काफी दुख हुआ है.

सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक बयान में कहा था, पूर्व सैन्य प्रमुख, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने 40 वर्षों से ज्यादा समय तक देश की सेवा की. देश की रक्षा के लिए युद्ध लड़ने वाला निश्चित तौर पर देशद्रोही नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा, पाकिस्तान की सशस्त्र सेना उम्मीद करती है कि पाकिस्तानी इस्लामी गणतंत्र के मुताबिक न्याय किया जायेगा. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी सैन्य प्रमुख को देशद्रोही करार देकर मौत की सजा सुनायी गयी है. सेना के सार्वजनिक बयान से चिंतित प्रधानमंत्री खान ने तुरंत अपने दो भरोसेमंद सहयोगियों को सेना को यह आश्वासन देने के लिए तैनात किया कि सरकार उनकी तरफ से दायर एक अपील की सुनवाई के दौरान बीमार पूर्व राष्ट्रपति का बचाव करेगी.

अटार्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने देर रात संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैं मामले में कानून का बचाव करूंगा, लेकिन किसी व्यक्ति का नहीं. संवाददाता सम्मेलन में सूचना मामलों पर प्रधानमंत्री की विशेष सूचना सहायक फिरदौस आशिक अवान भी मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि मुशर्रफ को विशेष अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार नहीं दिया गया और फैसला आरोपी के बयान को दर्ज किये बगैर उनकी अनुपस्थिति में सुनाया गया. खान ने कहा, इससे उस स्थिति में निर्णय सुनाये जाने की तत्परता के बारे में सवाल खड़े होते हैं जब मुशर्रफ गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती थे. उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि एक व्यक्ति जिसने देशद्रोह किया है, उसे दंडित किया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में संविधान के तहत निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार की गारंटी को सुनिश्चित नहीं किया गया है. सुनवाई न केवल निष्पक्ष होनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए.

डॉन समाचार पत्र की खबर के अनुसार, अटार्नी जनरल ने यह भी बताया कि मामले में एक बड़ी खामी यह है कि जिन लोगों ने आपातकाल लगाने के लिए मुशर्रफ की मदद की, उन्हें मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मुशर्रफ को अपना बयान दर्ज कराये जाने का एक मौका दिया जाना चाहिए. जब संवाददाता सम्मेलन के दौरान उनसे मुशर्रफ की सुनवाई को अनुचित बताये जाने को न्यायालय की अवमानना किये जाने के बारे में पूछा गया तो अटाॅर्नी जनरल ने कहा, जब एक बार फैसला सुना दिया जाता है तो वह एक सार्वजनिक दस्तावेज बन जाता है और हर कोई उस पर टिप्पणी कर सकता है.

प्रधानमंत्री की शीर्ष सहायक अवान ने कहा कि कुछ लोग जनरल मुशर्रफ के खिलाफ विशेष अदालत के फैसले पर जश्न मना रहे हैं और संस्थानों के बीच टकराव की आशंका है. उन्होंने कहा, वही लोग जो आज टीवी स्क्रीन पर खुशी जताते नजर आ रहे हैं, वे वही थे जिन्होंने 2009 में मुशर्रफ से शपथ ली थी. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अवान ने कहा कि पाकिस्तान सेना ने देश के लिए कई बलिदान दिये हैं. उन्होंने नागरिक सरकार का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान सेना की सराहना भी की. दुबई से जियो न्यूज की खबर के अनुसार, मुशर्रफ ने अदालत के फैसले को लेकर निराशा जाहिर की और कहा कि वह अपने वकीलों से चर्चा करने के बाद जवाब देंगे. सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया है कि मुशर्रफ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है लेकिन उनका स्वास्थ्य अभी भी ठीक नहीं है.

उधर, मुशर्रफ की पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) ने कहा कि फैसले के लिए कानूनी अनिवार्यताओं को पूरा नहीं किया गया है और फैसला एकतरफा था. एपीएमएल के नेता मलिक मुबाशिर ने कहा कि मुशर्रफ दुबई में बयान दर्ज कराने के लिए तैयार थे और अदालत ने उनकी दलीलों को सुने बिना फैसला सुना दिया. उन्होंने कहा, वकीलों से सलाह करने के बाद, हम भविष्य की कार्यवाही को अंतिम रूप देंगे और फैसले को चुनौती दी जायेगी.

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