Terror Funding : हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान की अदालत में आरोप तय

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने बुधवार को मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण का आरोप तय किया. आतंकवाद विरोधी अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने सईद, हाफिज अब्दुल सलाम बिन मोहम्मद, मोहम्मद अशरफ और जफर इकबाल के खिलाफ आरोप तय किये. ये सब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2019 5:37 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने बुधवार को मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण का आरोप तय किया.

आतंकवाद विरोधी अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने सईद, हाफिज अब्दुल सलाम बिन मोहम्मद, मोहम्मद अशरफ और जफर इकबाल के खिलाफ आरोप तय किये. ये सब उस समय अदालत में मौजूद थे. न्यायाधीश भुट्टा ने अभियोजन पक्ष से गवाहों को पेश करने का निर्देश दिया और सुनवाई गुरुवार तक के लिए मुल्तबी कर दी. अदालत के अधिकारी ने कहा, सईद और उनके साथियों के वकीलों ने अदालत से उनके खिलाफ आरोप तय ना करने की अपील की. उन्होंने कहा, पंजाब के उप अभियोजक जनरल अब्दुर रऊफ ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की दलील दी और कहा कि सईद और अन्य आतंकवाद के वित्त पोषण में शामिल हैं. पंजाब के आतंकवाद विरोधी विभाग (सीटीडी) ने सबूत भी पेश किये.

अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों को भी आरोपपत्र की प्रति दी गयी. पिछली सुनवाई की तरह इस बार भी पत्रकारों को अदालत परिसर में जाकर सुनवाई कवर करने की अनुमति नहीं थी. एटीसी ने सात दिसंबर को सईद और एक अन्य आरोपी जफर इकबाल को अदालत में पेश किया था. इससे पहले शनिवार को अदालत हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के वित्त पोषण को लेकर आरोप तय नहीं कर सकी थी, क्योंकि अधिकारी आश्चर्यजनक रूप से शनिवार को इस हाई प्रोफाइल सुनवाई में एक सह-आरोपी को पेश करने में नाकाम रहे थे.

पंजाब पुलिस के आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) ने सईद और उसके सहयोगियों के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपों में पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में 23 प्राथमिकी दर्ज की थीं और जमात-उद-दावा प्रमुख को 17 जुलाई को गिरफ्तार किया था. वह लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है. मामले लाहौर, गुजरांवाला और मुल्तान में अल-अंफाल ट्रस्ट, दावातुल इरशाद ट्रस्ट और मुआज बिन जबल ट्रस्ट सहित ट्रस्ट या गैर-लाभ संगठनों (एनपीओ) के नाम पर बनायी गयी संपत्ति/संपत्तियों के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए धन एकत्रित करने के लिए दर्ज किये गये हैं.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद दावा और उसकी परमार्थ इकाई फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए उनकी संपत्तियों और ट्रस्टों के इस्तेमाल के मामलों की जांच शुरू कर दी है. सईद के जमात-उद-दावा को लश्कर का प्रमुख संगठन माना जाता है, जिसने 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था. इन हमलों में 166 लोग मारे गये थे.

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