अब बागवानी केवल शौक नहीं करियर विकल्प भी है, प्रकृति से प्यार है तो हॉर्टिकल्चर में मिलेगा मौका

नयी दिल्ली: वर्तमान समय में फलों और फूलों की खेती या बागवानी महज शौक भर के लिए किया जाने वाला काम नहीं रह गया है बल्कि एक करियर क्षेत्र बन चुका है. प्रोफेशन भाषा में इसे हॉर्टिकल्चर के तौर जाना जाता है. ऐसे लोग, जिन्हें प्रकृति से प्यार है, उनके लिए यह बेहतरीन करियर विकल्प […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 29, 2019 10:37 AM

नयी दिल्ली: वर्तमान समय में फलों और फूलों की खेती या बागवानी महज शौक भर के लिए किया जाने वाला काम नहीं रह गया है बल्कि एक करियर क्षेत्र बन चुका है. प्रोफेशन भाषा में इसे हॉर्टिकल्चर के तौर जाना जाता है. ऐसे लोग, जिन्हें प्रकृति से प्यार है, उनके लिए यह बेहतरीन करियर विकल्प है. हॉर्टिकल्चर के तहत न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता के बीज, फल एवं फूल का उत्पादन किया जाता है, पर्यावरण को बेहतर करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है.

हमारे देश में विविध प्रकार की मिट्टी और जलवायु के साथ कई प्रकार की कृषि-पारिस्थितिकी माैजूद है, जो विभिन्न प्रकार की बागवानी और फसलों को विकसित करने का अवसर प्रदान करती है. उच्च तकनीक वाले ग्रीन हाउस, इन-हाउस रिसर्च और ऑफ-सीजन की खेती ने हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में नयी संभावनाएं विकसित की हैं. यही वजह है कि आज भारत दुनिया में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है.

हार्टीकल्चर बागवानी की विशेष शाखा

हॉर्टिकल्चर यानी बागवानी कृषि की एक विशेष शाखा है. हॉर्टिकल्चर पौधों (अनाज, फल, सब्जियां, फूल आदि) को उगाने का विज्ञान और कला है. यह विषय अनाज, फलों, फूलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों, सजावटी पेड़ों की खेती और बागानों में पौधारोपण से संबंधित है. हॉर्टिकल्चर कला, विज्ञान एवं तकनीक का सम्मिश्रण है. इसमें खाद्य और अखाद्य दोनों तरह की फसलों का अध्ययन शामिल है. खाद्य फसलों में फल, सब्जी और अनाज एवं अखाद्य फसलों में फूल और पौधे आदि आते हैं. हॉर्टिकल्चर विशेषज्ञ अपने ज्ञान, कौशल और तकनीक का उपयोग कर उच्च गुणवत्ता वाले पौधों एवं फलों का उत्पादन करते हैं.

ये हैं हार्टीकल्चर की विभिन्न शाखाएं

फ्लोरीकल्चर: यह फूलों की खेती, उत्पादन और विपणन पर केंद्रित विषय है.

ओलेरीकल्चर : सब्जियों की खेती से संबंधित विज्ञान है.

लैंडस्केप हॉर्टिकल्चर: यह बागवानी के क्षेत्रों को सजाने और उनके विपणन एवं रखरखाव के बारे में है.

पोमोलॉजी : यह फलों के उत्पादन से संबंधित है.

पोस्ट हार्वेस्ट फिजियोलॉजी : पोस्ट हार्वेस्ट फिजियोलॉजिस्ट में बागवानी विशेषज्ञ खाद्य पदार्थ को खराब होने से रोकने का कार्य करते हैं.

साइंस स्ट्रीम से 12वीं के बाद सही समय

साइंस स्ट्रीम से बारहवीं करनेे के बाद हॉर्टिकल्चर में बैचलर डिग्री में प्रवेश का रास्ता बनता है. आप बीएससी हॉर्टिकल्चर (ऑनर्स) या बीएससी एग्रीकल्चर में तीन वर्षीय डिग्री कोर्स और उसके बाद दो वर्षीय एमएससी हॉर्टिकल्चर (ऑनर्स) एवं पीएचडी तक कर सकते हैं. कई संस्थान हॉर्टिकल्चर में चार वर्षीय बीटेक प्राेग्राम भी संचालित करते हैं. कुछ कॉलेज बैचलर कोर्स में एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, तो कुछ स्कोर के आधार पर देते हैं. हॉर्टिकल्चर कोर्स के अंतर्गत प्लांट प्राेपगेशन, प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट मटेरियल, टिशू कल्चर, क्राॅप प्रोडक्शन, क्रॉप न्यूट्रिशन, प्लांट पैथोलॉजी, पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग, इकोनॉमिक्स, एग्री-बिजनेस जैसे विषयाें का अध्ययन कराया जाता है.

आईसीएआर-एआईईईए है काफी उपयोगी

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध संस्थानों के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आईसीएआर यानी ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जामिनिशेन (एआईईईए) आयोजित करती है. इसमें सफलता हासिल कर आईसीएअार से मान्यता प्राप्त कृषि विश्वविद्यालयों के बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर में प्रवेश ले सकते हैं. इस प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथमेटिक्स, एग्रीकल्चर विषयों से पास होना आवश्यक है. आईसीएआर-एआईईईए 2020 के लिए रजिस्ट्रेशन 1 मार्च से 31 मार्च, 2020 तक कर सकते हैं और परीक्षा का आयोजन संभवत: 1 जून, 2020 को किया जायेगा.

यहां मिलेगा करियर बनाने का मौका

सरकारी निकायों, जैसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), सीएसआईआर-राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई), कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) में हॉर्टिकल्चरिस्ट की नियुक्ति की जाती है. हाॅर्टिकल्चर में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद नेट परीक्षा पास कर या पीएचडी कर के एग्रीकल्चर कॉलेज में लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी शुरू कर सकते हैं या रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं.

हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई के बाद उद्यान अधिकारी, कृषि अधिकारी, तकनीकी अधिकारी, फल व सब्जी निरीक्षक, उद्यान पर्यवेक्षक, कृषि विकास अधिकारी के तौर पर आगे बढ़ने के मौके मौजूद हैं. इसके अलावा हॉर्टिकल्चर स्पेशलिस्ट, फ्रूट-वेजिटेबल इंस्पेक्टर, हॉर्टिकल्चरिस्ट बनने का विकल्प है. सरकारी बैंकों में ग्रामीण विकास अधिकारी और कृषि वित्त अधिकारी आदि के पद पर काम कर सकते हैं.

हॉर्टीकल्चर के लिए प्रमुख संस्थान

  • आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नयी दिल्ली
  • आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, उत्तर प्रदेश
  • डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश
  • तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर
  • आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात
  • पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू)
  • कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिशूर

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