खुद पर भरोसे का मंत्र

अरसा पहले मेरे अब्बूजी ने मुझसे एक दफा कहा था- लोगों की जिंदगियां पढ़ा करो, जिंदगी से बढ़ कर कोई बेहतर किताब नहीं होती. उसके बाद जीवनी और आत्मकथाओं की किताबें किसी विटामिन की तरह मेरे पठन-पाठन की डाइट में शामिल होने लगीं और आज खुद ‘विटामिन जिंदगी’ नाम से ललित कुमार की किताब मेरे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 21, 2019 6:05 AM
अरसा पहले मेरे अब्बूजी ने मुझसे एक दफा कहा था- लोगों की जिंदगियां पढ़ा करो, जिंदगी से बढ़ कर कोई बेहतर किताब नहीं होती.
उसके बाद जीवनी और आत्मकथाओं की किताबें किसी विटामिन की तरह मेरे पठन-पाठन की डाइट में शामिल होने लगीं और आज खुद ‘विटामिन जिंदगी’ नाम से ललित कुमार की किताब मेरे हाथ लग गयी. यह किताब विकलांगजनों के लिए काम करने के लिए भारत सरकार के समाज कल्याण एवं सशक्तीकरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रोल मॉडल ललित कुमार की जीवनी है.
पोलियो द्वारा छीन ली गयी पैरों की ताकत के बाद ललित के लिए जीवन के संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना आसान नहीं था, लेकिन उनकी बैसािखयों ने उनके पैरों में अपनी जान रख दी, तो वे दौड़ ही पड़े. बैसाखियां ललित की हमसफर हैं, उनकी सच्ची साथी हैं, इसलिए यह जीवनी सिर्फ ललित की नहीं है, बल्कि उनकी बैसाखियों की भी है.
ललित कुमार ‘कविता कोश’, ‘गद्य कोश’, ‘वीकैपेबलडॉटकॉम’ जैसी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल ‘दशमलव’ के संस्थापक हैं. जाहिर है, बेहतर काम करनेवालों को कोई भी मुश्किल रोक नहीं सकती. पैरों से माजूर लोगों के लिए स्कूल-कॉलेज की मुश्किलों से लेकर जिंदगी के नये-नये पड़ावों को पार करने के लिए जिस अदम्य साहस की जरूरत होती है, वह ललित में है. हिंद युग्म प्रकाशन और वेस्टलैंड के एका से आयी इस किताब में ललित कहते हैं- ‘सहारा लेने के बजाय सहारा बनना सीखिए.’ यही वह मूलमंत्र है, जो ललित की जिंदगी को विटामिन देता रहा है. यह मंत्र वही दे सकता है, जिसको खुद पर सबसे ज्यादा भरोसा हो और सकारात्मकता से जीने का जज्बा है.
देर से आने के लिए ललित के स्कूल टीचर ने उनसे जब कहा कि तुम्हें क्या सजा दूं, भगवान ने खुद सजा दे रखी है. तब ललित का जवाब था- ‘मुझे भगवान ने कोई सजा नहीं दी है. सजा उन्हें मिलती है, जो गलती करते हैं. मुझे पोलियो है और यह किसी को भी हो सकता है.’
किसी की बीमारी का उपहास उड़ाना कुत्सित मानसिकता का द्योतक है. इसलिए यह किताब सिर्फ तन से विकलांग लोगों के लिए ही प्रेरणादायक नहीं है, बल्कि मन से विकलांग लोगों के लिए भी सीख देनेवाली है. भरोसा और साहस रूपी विटामिनों का स्रोत इस किताब को अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए.
शफक महजबीन
विश्व सिनेमा

Next Article

Exit mobile version