भारत और चीन ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर की वार्ता

बीजिंग : भारत और चीन ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और बैठक के दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिति को लेकर विचार साझा किये. आतंकवाद से मुकाबले के लिए संयुक्त कार्य समूह की आठवीं बैठक बुधवार को बीजिंग में संपन्न हुई. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 31, 2019 6:31 PM

बीजिंग : भारत और चीन ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और बैठक के दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिति को लेकर विचार साझा किये. आतंकवाद से मुकाबले के लिए संयुक्त कार्य समूह की आठवीं बैठक बुधवार को बीजिंग में संपन्न हुई.

अफगानिस्तान में चल रही हालिया गतिविधियों की पृष्ठभूमि में यह बैठक अहम मानी जा रही है, जहां अमेरिकी सेना को हटाने की ट्रंप प्रशासन की योजना को लेकर खबरें आने के बीच अमेरिकी अधिकारी तालिबान के साथ बातचीत कर रहे हैं. भारतीय दूतावास की ओर से यहां बुधवार रात जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिति, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय स्तर पर सहयोग सहित आपसी सरोकार से जुड़े क्षेत्रों में अपने विचार साझा किये. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व महावीर सिंघवी ने किया जो विदेश मंत्रालय में आतंकवाद से मुकाबले के मामले में संयुक्त सचिव हैं. चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लियू शाओबिन ने किया. शाओबिन चीनी विदेश मंत्रालय के विदेश सुरक्षा मामलों के विभाग में महानिदेशक हैं.

इसके अनुसार, अगले दौर की बातचीत आपसी सहमति से भारत में तय समय पर होगी. हालांकि, बयान में इस बात का जिक्र नहीं है कि क्या पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर का नाम बतौर वैश्विक आतंकवादी संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने की भारत की मुहिम पर भी कोई चर्चा हुई. मसूद अजहर भारत में कई भीषण आतंकवादी हमलों में आरोपी है. इसमें 2016 में उरी सैन्य अड्डे पर आतंकवादी हमला भी शामिल है जिसमें 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये थे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन स्थायी सदस्य है और उसके पास वीटो का अधिकार है. उसने बार-बार भारत के इस कदम को यह कहकर बाधित किया कि प्रतिबंध समिति के सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बनी.

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