भाजपा के लिए मध्य प्रदेश की हार बड़ा झटका

डॉ राकेश पाठक एडिटर इन चीफ, डीएनएन न्यूज, भोपाल rakeshpathak0077@gmail.com मध्य प्रदेश में तीन बार से लगातार मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के लिए यह हार बहुत बड़ा झटका है. कांग्रेस की जीत में बड़ा योगदान कांग्रेस के क्षत्रपों के बीच तालमेल का रहा है. कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह जैसे अन्य कई नेताओं ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2018 5:31 AM
डॉ राकेश पाठक
एडिटर इन चीफ,
डीएनएन न्यूज, भोपाल
rakeshpathak0077@gmail.com
मध्य प्रदेश में तीन बार से लगातार मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के लिए यह हार बहुत बड़ा झटका है. कांग्रेस की जीत में बड़ा योगदान कांग्रेस के क्षत्रपों के बीच तालमेल का रहा है. कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह जैसे अन्य कई नेताओं ने बड़ा सूझबूझ से चुनाव रणनीति बनाकर चुनाव लड़ा, इसलिए इनको श्रेय जाता है.
मध्य प्रदेश में पिछले तीन चुनावों में एक भी चुनाव ऐसा नहीं रहा है, जिसमें कांग्रेस अपनी आपसी गुटबाजी की वजह से न हारी हो. लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जिस तरह का तालमेल दिखाया है, वह बेहतर राजनीतिक रणनीति का परिचय देता है. आपसी सामंजस्य के साथ दिग्विजय सिंह ने एक-एक सीट पर जाकर कार्यकर्ताओं से बात की, बिना कोई गैर-जरूरी बयान दिये, इसका परिणाम हमारे सामने है.
वहीं दूसरी ओर, इन दिग्गजों के अलावा अगर दूसरे नंबर पर किसी को इस जीत का श्रेय देना हो, तो वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को देना होगा, जिन्होंने अपनी आक्रामकता में शिवराज सिंह को कहीं भी शामिल नहीं किया. यह उनकी बड़ी रणनीतिक समझ थी, क्योंकि शिवराज सिंह के प्रति व्यक्तिगत टिप्पणी का अर्थ था कि वे मध्य प्रदेश की जनता का विश्वास नहीं जीत पाते. ऐसा इसलिए, क्योंकि शिवराज सिंह के प्रति मध्य प्रदेश की जनता में कोई बड़ा आक्रोश नहीं था. इसीलिए, राहुल गांधी ने केंद्र को, मोदी की नीतियों को निशाने पर रखा. चूंकि केंद्र की नीतियों से देशभर की जनता परेशान है, इसलिए मध्य प्रदेश की जनता पर भी राहुल गांधी के भाषणों का असर हुआ और वह कांग्रेस की जीत का बेहतरीन जरिया बन गया.
राहुल गांधी ने बिना किसी गलतबयाजी के, बिना नेताओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी के यह साफ कहा कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, तो दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ हो जायेगा, यह बात प्रदेश की जनता को जम गयी. देशभर में जिस तरह से किसान परेशान हैं, उनके लिए यह राहत वाली बात थी, क्योंकि अब भी किसानों की फसल मंडियों में नहीं पहुंची है और वे कांग्रेस की सरकार बनने का इंतजार भी कर रहे हैं.
जहां तक भाजपा का प्रश्न है, तो उसके लिए यह बहुत बड़ा झटका है. भाजपा को यह कतई उम्मीद नहीं थी कि उसे यह दिन भी देखना पड़ेगा, क्योंकि शिवराज सिंह चौहान को वहां की जनता पसंद करती है. भाजपा के साथ कांग्रेस इस तरह से मुकाबला कर लेगी, इसकी उम्मीद नहीं थी. भाजपा अपनी चुनावी रणनीति में एक प्रकार से निश्चिंत थी कि उसे यहां कोई हरा नहीं पायेगा. इस अतिआत्मविश्वास के चलते भी उसने खुद को ढीला छोड़ दिया.
इस वक्त हिंदी हाॅर्ट लैंड के तीन प्रदेश भाजपा के हाथ से जा रहे हैं, यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका है. और संभव है कि इसका असर बहुत दूर तक या यूं कह लें कि आगामी आम चुनाव तक जायेगा. यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि भाजपा की यह दुर्गति भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व मोदी-शाह के लिए तो न सिर्फ एक बड़ी चेतावनी है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए चुनौतियां भी बननेवाली है.
साल 2014 के आम चुनाव में मध्य प्रदेश और राजस्थान में मिलाकर पैंसठ सीटें थीं, इस एतबार से यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा नुकसान साबित हो सकता है आगामी आम चुनाव में. अगर इन चुनावों को सेमी फाइनल माना जाये, तो जाहिर है कि इन सीटों में से तीस-पैंतीस सीटों का भाजपा को नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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