वियतनाम ने भारत को दक्षिण चीन सागर में निवेश के लिए किया आमंत्रित, भड़का चीन

बीजिंग : चीन ने वियतनाम द्वारा विवादित दक्षिण चीन सागर में तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में निवेश के लिए भारत को आमंत्रित करने पर गुरुवार को आपत्ति व्यक्त की. उसने कहा कि वह द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के बहाने अपने अधिकारों में दखल के विरोध में है. भारत में वियतनाम के राजदूत तोन सिन्ह थान्ह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 11, 2018 5:46 PM

बीजिंग : चीन ने वियतनाम द्वारा विवादित दक्षिण चीन सागर में तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में निवेश के लिए भारत को आमंत्रित करने पर गुरुवार को आपत्ति व्यक्त की. उसने कहा कि वह द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के बहाने अपने अधिकारों में दखल के विरोध में है. भारत में वियतनाम के राजदूत तोन सिन्ह थान्ह ने मंगलवार को एक सामाचार चैनल को कहा था कि उनका देश दक्षिण चीन सागर में भारतीय निवेश का स्वागत करेगा. गौरतलब है कि चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा ठोकता रहा है और इसे लेकर उसके कई देशों से तनातनी चल रही है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, चीन पड़ोस के संबंधित देशों के बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंधों पर आपत्ति नहीं जताता है. लेकिन, यदि इसका इस्तेमाल चीन के वैधानिक अधिकारों में दखल, दक्षिण चीन सागर में दिलचस्पी या क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को खत्म करने में किया जाता है तो वह इसका कड़ा विरोध करता है. उल्लेखनीय है कि चीन भारत की ओएनजीसी द्वारा दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के दावे के कुओं में तेल की तलाश करने का पहले से ही विरोध करता आया है. भारत का कहना है कि ओएनजीसी व्यावसायिक परिचालन कर रही है और उसका कार्य क्षेत्र विवाद से जुड़ा नहीं है.

वियतनामी राजदूत ने साथ ही कहा था कि भारत और उनके देश के बीच रक्षा सहयोग भी बढ़ाने की काफी संभावना है और भारत वियतनाम की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकता है. चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जबकि वियतनाम, फिलिपींस, मलयेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसका विरोध करते हैं. भारत और वियतनाम के बीच संबंध सुधर रहे हैं. भारत दक्षिण चीन सागर में आवाजाही की स्वतंत्रता का समर्थन करता रहा है. दक्षिण चीन सागर के जरिये हर साल खरबों डॉलर का व्यापार होता है.

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