UP News: 127 साल बाद भारत लौटी पिपरहवा स्तूप की धरोहर, यूपी की धरती पर फिर गूंजा बौद्ध गौरव

UP News: उत्तर प्रदेश की धरती को 127 साल बाद एक ऐतिहासिक धरोहर वापस मिली है. पिपरहवा स्तूप से जुड़े भगवान बुद्ध के अवशेष, जिन्हें औपनिवेशिक काल में भारत से बाहर ले जाया गया था, अब पुनः अपने देश लौट आए हैं. केंद्र और यूपी सरकार की पहल से हांगकांग में नीलामी को रोककर इसे वापस भारत लाया गया.

By Pritish Sahay | September 22, 2025 10:16 PM

UP News: उत्तर प्रदेश की धरती को 127 साल बाद एक ऐतिहासिक धरोहर वापस मिली है. पिपरहवा स्तूप से जुड़े भगवान बुद्ध के अवशेष, जिन्हें औपनिवेशिक काल में भारत से बाहर ले जाया गया था, अब पुनः अपने देश लौट आए हैं. ये अमूल्य धरोहरें हाल ही में हांगकांग में नीलामी के लिए रखी जाने वाली थीं, लेकिन केंद्र सरकार की सक्रिय पहल और यूपी सरकार के सहयोग से न केवल यह नीलामी रोकी गई, बल्कि अवशेषों को सुरक्षित तरीके से भारत लाया गया.

बौद्ध धरोहर की अनमोल कड़ी

पिपरहवा स्तूप बौद्ध आस्था और इतिहास का महत्वपूर्ण स्थल है. 1898 में यहां खुदाई के दौरान बौद्ध शाक्य वंश से जुड़े स्वर्णाभूषण, क्रिस्टल पेटिकाएं, रत्न और ब्राह्मी लिपि में शिलालेख मिले थे. इन्हें बौद्ध अनुयायियों के बीच अत्यंत पूजनीय माना जाता है. अब जब यह धरोहर वापस आ चुकी है तो सिद्धार्थनगर, कुशीनगर और सारनाथ जैसे बौद्ध स्थलों की महत्ता और बढ़ गई है.

सरकार की पहल और कार्रवाई

सूत्रों के मुताबिक, जब इन अवशेषों को विदेश में नीलामी के लिए लिस्ट किया गया तो केंद्र सरकार ने तुरंत इसे गंभीरता से लिया. विदेश मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने मिलकर संबंधित पक्षों से संवाद किया और प्रक्रिया को रोका. इसके बाद 30 जुलाई 2025 को इन्हें औपचारिक रूप से भारत लाया गया. उत्तर प्रदेश सरकार भी इस पूरी प्रक्रिया में सक्रिय रही और अब योजना बनाई जा रही है कि इन धरोहरों को प्रदेश में ही एक संग्रहालय या स्थायी प्रदर्शनी स्थल पर सुरक्षित रूप से रखा जाए, ताकि आमजन और श्रद्धालु इन्हें देख सकें.

यूपी के लिए नए अवसर

इतिहासकारों का मानना है कि इन अवशेषों की वापसी से न केवल प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी, बल्कि बौद्ध पर्यटन को भी नई गति मिलेगी. सिद्धार्थनगर से लेकर कुशीनगर और वाराणसी तक पहले से मौजूद बौद्ध तीर्थ स्थलों के बीच यह एक नई कड़ी जुड़ जाएगी. यूपी सरकार का मानना है कि इससे श्रद्धालु, पर्यटक और शोधकर्ता बड़ी संख्या में आएंगे, जिससे स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा.

गौरव और जिम्मेदारी

यह घटना न केवल सांस्कृतिक धरोहर की वापसी है बल्कि भारत की उस प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है जिसके तहत विदेशों में पड़ी भारतीय विरासत को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है. इन अवशेषों की घर वापसी ने उत्तर प्रदेश को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाई है.