UP News: योगी सरकार के कृषि मॉडल से अन्नदाता हुए खुशहाल, बिचौलियों के हटने से किसानों मिल रहा को सीधा लाभ
UP News: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में बीते साढ़े आठ वर्षों में एक ठोस और दूरगामी मॉडल खड़ा किया है. “बीज से बाजार तक” की सोच पर आधारित इस नीति के जरिए सरकार ने उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन को एक मजबूत श्रृंखला में जोड़ दिया है. इसका सीधा असर किसानों की आय, ग्रामीण रोजगार और राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर दिखाई दे रहा है.
UP News: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में बीते साढ़े आठ वर्षों में एक ठोस और दूरगामी मॉडल खड़ा किया है. “बीज से बाजार तक” की सोच पर आधारित इस नीति के जरिए सरकार ने उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन को एक मजबूत श्रृंखला में जोड़ दिया है. इसका सीधा असर किसानों की आय, ग्रामीण रोजगार और राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर दिखाई दे रहा है. सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि किसान केवल कच्चा माल बेचने वाला उत्पादक न रहे, बल्कि मूल्य संवर्धन की पूरी श्रृंखला का भागीदार बने. इसी उद्देश्य से परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी, सब्जी उत्पादन, डेयरी, मत्स्य पालन और कृषि प्रसंस्करण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
कृषि विकास दर में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
डिजिटल युग में किसानों को तकनीक से जोड़ने पर सरकार ने विशेष जोर दिया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में 8.6 प्रतिशत रही कृषि विकास दर अब बढ़कर 2024-25 में 17.7 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. उत्तर प्रदेश आज प्रति वर्ष लगभग 400 लाख टन फल और सब्जियों का उत्पादन कर देश में अग्रणी राज्यों में शामिल है. सरकार की नीति केवल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों को स्थायी आय के नए स्रोत उपलब्ध कराने पर केंद्रित है. मोबाइल ऐप आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत किसानों को मुफ्त में मिट्टी की जांच की सुविधा दी जा रही है, जिससे सही उर्वरक, सही फसल और सही समय पर उत्पादन संभव हो रहा है.
एमएसपी में बढ़ोतरी से किसानों को आर्थिक सुरक्षा
- योगी सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की नियमित समीक्षा किसानों के लिए एक बड़ा भरोसा बनी है.
- इस वर्ष साधारण धान का एमएसपी 2,369 रुपये प्रति क्विंटल
ग्रेड-ए धान का एमएसपी 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो पिछले वर्ष से 69 रुपये अधिक है.
अगेती गन्ना किस्म का मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल
सामान्य गन्ना का मूल्य 390 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. - इससे किसानों को न केवल फसल का उचित मूल्य मिल रहा है, बल्कि उन्हें मंडी में भाव गिरने का भय भी नहीं रहता.
कृषि योजनाओं से किसानों को नई ताकत
- प्रदेश में UP-AGRIS प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों को आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ा जा रहा है. यह परियोजना उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर रही है.
- मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना के तहत किसानों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है.
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का दायरा बढ़ाते हुए इस वर्ष 25 लाख नए किसानों को केसीसी देने का लक्ष्य रखा गया है.
- साथ ही 50 प्रतिशत सब्सिडी योजना के तहत ट्रैक्टर, कटाई मशीन, ड्रोन और फसल अवशेष प्रबंधन
- के उपकरण किसानों को आधी कीमत पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
मौसम और बाजार की जानकारी अब मोबाइल पर
- उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को प्रतिदिन मुफ्त में बाजार भाव और मौसम का पूर्वानुमान उपलब्ध
- करा रही है.
- अब तक 1.45 करोड़ से अधिक फार्मर कार्ड आईडी जारी की जा चुकी हैं, जिससे किसान सरकारी
- योजनाओं से सीधे जुड़ रहे हैं.
- महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सीडलिंग उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है, जिससे लगभग 60 हजार महिलाओं को रोजगार मिला है.
- लखनऊ में 251 करोड़ रुपये की लागत से चौधरी चरण सिंह सीड पार्क की स्थापना प्रस्तावित है, जो बीज उत्पादन और तकनीकी नवाचार का बड़ा केंद्र बनेगा.
4000 से अधिक खरीद केंद्र: खेत के पास ही बाजार
- किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने प्रदेशभर में 4000 से अधिक सक्रिय
- खरीद केंद्र स्थापित किए हैं.
- इनमें से 35 से 40 प्रतिशत केंद्र ऐसे ब्लॉकों में खोले गए, जहां पहले कोई स्थायी खरीद व्यवस्था मौजूद नहीं थी.
अब गांव के पास ही फसल की बिक्री होने से:
- परिवहन खर्च कम हुआ
- किसानों को तुरंत भुगतान मिला
- बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम घटा
- फसल के नुकसान में भी उल्लेखनीय कमी आई
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला नया संबल
योगी सरकार की कृषि नीति का असर अब सिर्फ खेत तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में दिख रहा है. खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृहों और कृषि आधारित उद्योगों के कारण गांवों में रोजगार बढ़ा है और पलायन पर भी अंकुश लगा है.
