‘यूपी में का बा’ फेम नेहा सिंह राठौर बोलीं- सियासी दलों को सच सुनना चाहिए, पार्ट-2 जल्द होगा रिलीज

'यूपी में का बा' लोकगीत पर गायिका नेहा सिंह राठौर ने कहा कि सियासी दलों को सच्चाई से चिढ़ना नहीं चाहिए. उसे स्वीकार कर उस पर काम करना चाहिए.

By Prabhat Khabar | January 18, 2022 6:46 PM

Varanasi News: वाराणसी में बिहार की लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने अपने चुनावी लोकगीत ‘यूपी में का बा’ को लेकर मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने यूपी चुनाव को लेकर कहा कि वाराणसी में परिर्वतन हुआ है. मैं हमेशा से एक बात कहती रही हूं कि कोई भी सरकार पूरी तरह से फेल नहीं रही है और न ही पूरी तरह से पास. इसलिए मेरा बयां करने का अंदाज जनता के पक्ष में रहता है न कि दलगत विशेष के.

अपने लोकगीतों से फेमस हुई नेहा सिंह राठौर ने सियासी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता की प्रतिक्रिया पर दलों को इतना चिढ़ना नहीं चाहिए. उसे स्वीकार कर उस पर काम करना चाहिए.

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वाराणसी के रविदास घाट पर मौजूद लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने कहा कि यहां बहती गंगा में आज अलकनंदा क्रूज़ चल रही हैं. कभी इसी गंगा में कोरोना काल में लाशें बहती थीं. लाशों को चील गिद्ध नोचते रहते थे. आखिर इसको स्वीकारने में इतना परहेज क्यों. पश्चिम बंगाल के चुनाव के वक्त मैंने बंगाल के लिए भी गाना गाया, लेकिन बंगाल में भाषा की वजह से चर्चा में नहीं आया.

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नेहा सिंह राठौड़ ने कहा कि बंगालियों की हिंदी कमजोर होती है तो भोजपुरी क्या ही समझ में आएगा. लोग कनेक्ट नहीं कर पाए. न दीदी मेरी न मोदी मेरे, मेरा ये गाना पश्चिम बंगाल की जनता को समर्पित था. यूपी चुनाव को लेकर मेरा गाना ‘यूपी में का बा’ रिलीज हो चुका है. जिसमें मैंने समालोचना करते हुए बातों को रखना है. सच सुनना चाहिये. मैं बस स्याह पक्ष सुनाती हूं. यूपी के लिए मेरा दूसरा गाना जल्द ही आएगा.

रवि किशन पर हमला बोलते हुए नेहा सिंह राठौर ने कहा कि रवि किशन ने कहा मैं पेड कलाकार हूं. उनका काम है कहना. वो कहते रहें. रही बात फिल्म सिटी बनने की तो फिल्म सिटी बननी चाहिए. इससे उन कलाकारों को फायदा होगा, जो अपना प्रदेश छोड़कर मुंबई का रुख करते हैं. मनोज बाजपेयी का गाना ‘बम्बई में का बा’ बस एक गाना नहीं है, वह कलाकारों का संघर्ष बयान करता है.

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अपने नए गाने ‘राम राज का झांकी बा, काशी मथुरा बाकी बा’ गाने पर बोलते हुए नेहा सिंह राठौर ने कहा कि कोई कहता हैं कि मैं राम को ला दूंगा. कोई कहता है मैं कृष्ण को ला दूंगा. ऐसा कहने वाले क्या राम कृष्ण को लेकर आएंगे, क्योंकि राम- कृष्ण उनको लेकर आये हैं. धर्म की राजनीति छोड़कर इन लोगों को इंसानियत पर जीना चाहिए. इनकी राजनीति इतनी गन्दी हो चुकी है कि राम-कृष्ण को भी लड़वा देंगे.

रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी

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