Tulsi Vivah 2021: देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, 4 महीने बाद जागे श्रीहरी विष्णु

सरायकेला- खरसावां जिले के विभिन्न क्षेत्रों में देवोत्थान एकादशी में भगवान विष्णु की उपासना की गयी. श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पूजा-अर्चना भी किये. साथ अक्षय फल की प्राप्ति की कामना भी की गयी. वहीं, सोमवार को तुलसी विवाह का भी आयोजन हुआ.

By Prabhat Khabar Print Desk | November 15, 2021 9:51 PM

Tulsi Vivah 2021(शचिंद्र कुमार दाश, खरसावां) : सरायकेला- खरसावां जिला में सोमवार को पवित्र देवोत्थान एकादशी का व्रत मनाया गया. मौके पर क्षेत्र के मंदिरों में विशेष विधि- विधान के साथ पूजा- अर्चना की गयी. देवोत्थान एकादशी के साथ ही चतुर्मास की समाप्त हुई तथा मांगलिक कार्य शुरू होंगे. देवोत्थान एकादशी पर मंदिरों में पूजा के लिए श्रद्धालु भी पहुंचे थे. खरसावां के जगन्नाथ मंदिर, हरि मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर व हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा- अर्चना कर सुख- समृद्धि की कामना की. पूजा के साथ- साथ श्रद्धालुओं ने उपवास भी रखा. वहीं, तुलसी विवाह का भी आयोजन हुआ.

देवोत्थान एकादशी में शंख ध्वनि के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु से संबंधित कथाओं का पाठ किया गया. घरों पर भगवान सत्यनारायण व्रत कथा का भी आयोजन किया गया. धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने लंबे समय तक युद्ध कर दानव शंखासुर का बध किया था. युद्ध में आयी थकान के बाद भगवान विष्णु सो जाते हैं तथा देवोत्थान एकादमी के दिन जागते हैं. मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की उपासना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस कारण ही काफी संख्या में लोग सोशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन करते हुए देवोत्थान एकादशी के दिन पूजा- अर्चना करने मंदिरों में पहुंचते हैं.

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तुलसी विवाह का हुआ आयोजन

देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह का व्रत भी आयोजन किया गया. खरसावां के विभिन्न स्थानों पर तुलसी व श्रीहरि विष्णु पाषाण रूप शालिग्राम के विवाह के रश्म को पूरा किया गया. शालिग्राम के रूप में भगवान विष्णु को तुलसी मंडप के पास रख कर तुलसी व विष्णु के विवाह को संपन्न कराया जायेगा. मान्यता है कि तुलसी भगवान विष्णु सबसे अधिक प्रिय है. सोमवार को तुलसी विवाह के साथ ही हिन्दू धर्मावलंबियों के शुभ मांगलिक कार्य भी शुरू हो गये.

Posted By : Samir Ranjan.

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