झारखंड: फैक्ट्रियों के जहरीले धुएं से लोगों का जीना हुआ मुहाल, स्वास्थ्य को लेकर बढ़ रही है चिंता

प्रदूषण का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस प्रदूषण का पेड़-पौधों पर भी असर पड़ रहा है. इस क्षेत्र के आसपास के पेड़-पौधों का विकास भी सामान्य पेड़-पौधों से कम हो रहा है. औद्योगिक क्षेत्र में अवस्थित दो फैक्ट्रियों से निकलने वाले लाल धुएं के गुब्बार से लोग परेशान और भयभीत हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2023 8:12 PM

रामगढ़, नीरज अमिताभ: औद्योगिक क्षेत्र मरार की फैक्ट्रियों से निकले वाले धुएं व केमिकल मिले धुएं से एक बड़े क्षेत्र की आबादी परेशान है. हालत यह है कि प्रदूषण की वजह से उनका जीना मुहाल हो गया है. पहले से लोग औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक लोहा फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं से परेशान थे. अब इसी लोहा फैक्ट्री की सहयोगी दो अन्य फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल मिले धुएं से लोगों की परेशानी और बढ़ गयी है. हालांकि दिखावे के लिए फैक्ट्रियों में प्रदूषण नियंत्रक यंत्र लगे हैं, लेकिन इसका उपयोग नहीं किया जाता है. इसका खामियाजा आसपास के लोग भुगतने को मजबूर हैं.

प्रदूषण का स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर

प्रदूषण का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस प्रदूषण का पेड़-पौधों पर भी असर पड़ रहा है. इस क्षेत्र के आसपास के पेड़-पौधों का विकास भी सामान्य पेड़-पौधों से कम हो रहा है. औद्योगिक क्षेत्र में अवस्थित दो फैक्ट्रियों से निकलने वाले पीले धुएं के गुब्बार से लोग परेशान और भयभीत हैं. बताया जाता है कि लोहा बनाने में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ सिल्को मैगनीज को ब्लास्ट फर्नेस में जब डाला जाता है तथा उसक संपर्क अन्य पदार्थों से फर्नेस कराया जाता है तो काफी भयावह रूप से लाल धुएं का गुब्बार उठता है और पूरा क्षेत्र लाल धुएं से भर जाता है.

Also Read: झारखंड: सिपाही हत्याकांड का खुलासा, पत्नी ने ही करायी थी प्रेमी से हत्या, तीन आरोपी गिरफ्तार

दिखावे के लिए हैं प्रदूषण नियंत्रक यंत्र

प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने बताया कि आधा-एक घंटा धुआं निकलने के बाद यह बंद हो जाता है, लेकिन हालात सामान्य होने में तीन-चार घंटे लग जाते हैं. एक दिन में करीब दो-तीन बार और कभी-कभी चार बार ऐसा धुआं इन फैक्ट्रियों से निकलता है. कहने और दिखाने को इन फैक्ट्रियों में कई चिमनी स्थापित हैं, लेकिन उनसे न निकलकर लाल धुंआ पूरे फैक्ट्री परिसर से निकलता है. हर फैक्ट्री द्वारा ये दावा किया जाता है कि उन्होंने प्रदूषण नियंत्रक यंत्र लगाया हुआ है, लेकिन नियमित तौर पर प्रदूषण नियंत्रक यंत्र नहीं चलाये जाते हैं. क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि इस ओर प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ध्यान देना चाहिए. लापरवाही से लोगों की जिंदगी दांव पर लग जाएगी.

Also Read: Jharkhand Village Story: झारखंड का एक गांव है बालुडीह, लेकिन अब ढूंढे नहीं मिलता बालू, पढ़िए बदलाव की ये कहानी

Next Article

Exit mobile version