Ramadan 2022: रोजे में मिसवाक नेकी के साथ सेहत के लिए फायदेमंद, इन बीमारियों से मिलता है निजात

Ramadan 2022: बरेली की दरगाह आला हजरत, दरगाह शाह शराफत मियां, दरगाह शाहदाना वली और दरगाह खानकाह-ए-नियाजिया की दुकानों पर मिसवाक खरीदने वालों की संख्या बढ़ गई है. हालांकि, मिसवाक की कीमत में कोई इजाफा नहीं हुआ है. यह इस बार रमजान में भी 10 से 30 रुपये तक की है.

By Prabhat Khabar | April 10, 2022 7:55 PM

Ramadan 2022: रमजान में रोजेदार मिसवाक (दातून) का इस्तेमाल करते हैं. मिसवाक करने से रोजेदारों को नेकियां (सवाब) मिलता है, जिसके चलते शहर की दुकानों पर मिसवाक की मांग भी बढ़ने लगी है. मिसवाक करने से मुंह के बैक्टीरिया खत्म होते हैं. बदहजमी, एसिडिटी के साथ ही 70 से अधिक बीमारियां भी खत्म होती हैं. दातून को अरबी भाषा में मिसवाक कहा जाता है. मगर, मिसवाक रोजेदारों के लिए सवाब के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.

रमजान के महीने में रोजेदार नेकियां लेने के लिए दिन-रात इबादत में गुजारते हैं, क्योंकि, रमजान में एक नेकी का सवाब 70 गुना मिलता है. रमजान में मिसवाक, वजू (हाथ, मुंह और पैर धोना) सुन्नत है. मिसवाक सुबह फज्र नमाज से पहले और ईशा नमाज के बाद काफी बेहतर है. मगर, हर नमाज से पहले मिसवाक करने से सवाब के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. मगर, इसका इस्तेमाल रमजान के महीने में काफी बढ़ जाता है. इसलिए मार्केट में मिसवाक की मांग भी बढ़ी है.

Also Read: Ramadan 2022: रमजान का दिखा चांद, आज से रोजा शुरू, बाजारों में दिखने लगी चहल-पहल

बरेली की दरगाह आला हजरत, दरगाह शाह शराफत मियां, दरगाह शाहदाना वली और दरगाह खानकाह-ए-नियाजिया की दुकानों पर मिसवाक खरीदने वालों की संख्या बढ़ गई है. हालांकि, मिसवाक की कीमत में कोई इजाफा नहीं हुआ है. यह इस बार रमजान में भी 10 से 30 रुपये तक की है.

Also Read: बरेली में शुरू की गई रमजान हेल्पलाइन, दुनिया भर के लोगों को हर दीनी सवाल का यहां मिलेगा जवाब
मिसवाक के फायदे

मिसवाक करने से दांतों में संक्रमण नहीं होता. मुंह से बदबू नहीं आती. दांत मजबूत और चमकदार, दांतों में ठंडा-गर्म लगने की समस्या खत्म, मसूड़ों से खून (पायरिया) की समस्या से निजात, दिमाग में उल्टे-सीधे ख्याल नहीं आते. मिसवाक के बाद नमाज पढ़ने का सवाब 99 गुना से 400 गुना तक बढ़ जाता है. फरिश्ते खुश रहते हैं. मौत के बक्त कलमे शहादत की याद दिलाती है. रूह निकलने में आसानी होती है. रिज्क भी बढ़ता है.

सऊदी अरब-पाकिस्तान से आती थी मिसवाक

पहले हज और उमरा करने जाने वाले सऊदी अरब से मिसवाक लेकर आते थे. मिसवाक मक्का-मदीना शरीफ की बाजार में सबसे अधिक बिकती है. पाकिस्तान की मिसवाक को भी काफी पसंद किया जाता है. मगर, बरेली में पीलू की मिसवाक की मांग है. यह पेड़ सऊदी अरब, कराची, राजस्थान, देवबंद आदि में पाए जाते हैं. इन पेड़ की पतली टहनी काटकर मिसवाक बनाई जाती है.

मिसवाक नबी की सुन्नत

मिसवाक नबी की सुन्नत है. हदीस शरीफ में है कि हजरत अबू हुरैरा से रिवायत है कि पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, अगर अपनी उम्मत पर दुश्वार न लगता, तो नमाज से पहले मिसवाक का हुक्म देता. रोजे में ब्रश करने की मनाही है, लेकिन मिसवाक कर सकते हैं.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

Next Article

Exit mobile version