धनबाद में बढ़ रही है बाजरा की मांग, कई बीमारियों की है रामबाण दवा, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बाजरा फसल की डिमांड झारखंड के धनबाद में बढ़ने लगी है. कई शोध इस बात की तस्दीक करते हैं कि मिलेट खाने से आप न केवल बीमारियों से दूर रह सकते हैं, बल्कि कई तरह की बीमारियों को ठीक भी कर सकते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 24, 2022 1:41 PM

धनबाद: मिलेट यानी बाजरा अथवा मोटा अनाज अब मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये हमारी थाली में पहुंच रहा है. कभी इसे ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों का भोजन समझा जाता था, लेकिन अब यह शहरी क्षेत्र के लोगों के लिए ‘दवा’ बनता जा रहा है. यही कारण है कि धनबाद के बाजार में बाजरा, मड़ुआ (रागी), ज्वार, कोदो, कुटकी, कंगनी, हरी कंगनी, सावां, चेना जैसे मोटे अनाजों की मांग होने लगी है.

दरअसल, हाल के वर्षों में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा जैसी समस्याओं के आम होने के बाद लोगों का ध्यान सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर मिलेट की ओर गया. कई चिकित्सक, डायटीशियन मिलेट खाने की सलाह देने लगे हैं. विश्व स्तर पर हुए कई शोध इस बात की तस्दीक करते हैं कि मिलेट खाने से आप न केवल बीमारियों से दूर रह सकते हैं, बल्कि कई तरह की बीमारियों को ठीक भी कर सकते हैं. दावा तो यहां तक किया जाता है कि मिलेट का नियमानुसार सेवन पिंपल से लेकर कैंसर तक को ठीक कर सकता है.

धनबाद, बोकारो और गिरिडीह में होती है खेती

मिलेट मैन के नाम से प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ खादर वल्ली के अनुसार मिलेट की खेती जहां पर्यावरण के लिए बेहतर है, वहीं इसका नियमित सेवन लोगों को बीमारियों से दूर रखता है. जो बीमार है वे स्वस्थ हो जायेंगे. वह कहते हैं ‘मिलेट हमारा प्राचीन और देसी आहार है…’.

झारखंड के लिए अच्छी बात यह है कि यहां कई इलाकों में मिलेट जैसे मड़ुआ, कोदो, बाजरा, कुटकी आदि की खेती हो रही है. हालांकि यह सीमित मात्रा में है. मिलेट की खेती की विशेषता यह भी है कि इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है. खराब मौसम और अनुपजाऊ भूमि पर भी इसकी फसल हो जाती है. उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी खेती से बंजर जमीन भी उपजाऊ हो जाती है. बताते चलें कि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है.

Posted By: Sameer Oraon

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