Lokkhi Puja 2022: आज शरद पूर्णिमा के दिन होगी मां लक्खी की पूजा, यहां देखें इसका महत्व

Lokkhi Puja 2022: आम तौर पर दीपावली के दिन देश में लक्ष्मी पूजा की जाती है. इस दिन गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन बंगाली समाज लक्ष्मी पूजा मनाते हैं. 9 अक्टूबर, रविवार यानी आज शरद पूर्णिमा के साथ क्षेत्र में लक्खी पूजा मनाई जा रही है.

By Shaurya Punj | October 9, 2022 6:18 AM

Lokkhi Puja 2022: बंगाली समुदाय आज के दिन लक्ष्मी पूजा जिसे विशेष रूप से कोजागरी लखी पूजा के नाम से मनाते हैं. बंगाली समाज मां की प्रतिमा मंडप में स्थापित करते हैं और घर में विशेष पूजा की जाती है. 9 अक्टूबर, रविवार यानी आज शरद पूर्णिमा के साथ क्षेत्र में लक्खी पूजा मनाई जा रही है.

बंगाली समुदाय में प्रचलित है लखी पूजा

आम तौर पर दीपावली के दिन देश में लक्ष्मी पूजा की जाती है. इस दिन गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन बंगाली समाज लक्ष्मी पूजा मनाते हैं. जिसे लखी पूजा भी कहा जाता है. इस दिन लक्ष्मी के साथ-साथ नारायण की पूजा की जाती है.

कार्तिक मास की होगी शुरुआत

शरद पूर्णिमा के दिन से कार्तिक मास के यम नियम, व्रत और दीपदान का क्रम भी आरंभ हो जाएगा. शरद पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक नित्य आकाशदीप जलाने और दीपदान करने से दुख दारिद्रता का नाश होता है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लखी का जन्म हुआ था. इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है.

ये है मान्यता

मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक में विचरण करती हैं. इसी कारण से इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस रात चंद्रमा कि किरणों से अमृत बरसता है. ऐसे में लोग इसका लाभ लेने के लिए छत पर या खुले में खीर रखकर अगले दिन सुबह उसका सेवन करते हैं। कुछ लोग चूरा और दूध भी भिगोकर रखते हैं. रातभर इसे चांदनी में रखने से इसकी तासीर बदलती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. इस दिन खीर का महत्व इसलिए भी है कि यह दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है. चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है. इस पूर्णिमा की रात चांदनी सबसे ज्यादा तेज प्रकाश वाली होती है.

अलग अलग नाम से पुकारा जाता है इस दिन को

इस तिथि को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कमला पूर्णिमा भी कहते हैं.

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