VIDEO: झारखंड में कैबिनेट विस्तार 16 फरवरी को,चंपाई सोरेन सरकार में JMM-कांग्रेस से आठ मंत्रियों को मिलेगी जगह

झारखंड में कैबिनेट विस्तार 16 फरवरी (शुक्रवार) को होगा. चंपाई सोरेन सरकार में झामुमो और कांग्रेस के आठ मंत्रियों को जगह मिलनी है. आलमगीर आलम व सत्यानंद भोक्ता पहले ही कैबिनेट में शामिल हो चुके हैं.

By Guru Swarup Mishra | February 28, 2024 2:50 PM

रांची: झारखंड की चंपाई सोरेन सरकार 16 फरवरी (शुक्रवार) को कैबिनेट विस्तार करेगी. मंत्री पद को लेकर सत्ता पक्ष में राजनीतिक सरगर्मी तेज है. झामुमो और कांग्रेस के आठ मंत्रियों को चंपाई सोरेन की सरकार में जगह मिलनी है. कांग्रेस के कोटे से तीन मंत्रियों के लिए जगह तय है. कांग्रेस के अंदर मंत्री पद को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. कांग्रेस आलाकमान पुराने चेहरे पर ही भरोसा करे या फिर नये को कमान दे, यही पेच फंसा है. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम सहित कई नेता पुराने मंत्रियों के साथ आगे बढ़ने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. झारखंड के कई नेताओं का मानना है कि पांच-छह महीने के लिए पार्टी को किसी भी बदलाव की ओर नहीं जाना चाहिए. हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री रहे नेताओं ने दिल्ली दरबार तक अपनी बात पहुंचायी हैं. मंत्री पद को लेकर पार्टी के अंदर कई नामों पर चर्चा हो रही है. प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय, पूर्णिमा नीरज सिंह, अनूप सिंह जैसे नेताओं की अपनी लॉबिंग है. कांग्रेस के अंदर भूषण बाड़ा का भी नये चेहरे में तेजी से नाम चल रहा है. कांग्रेस सूत्रों की मानें, तो हेमंत सोरेन के मंत्रियों को ड्रॉप किया जायेगा, तो उसमें डॉ रामेश्वर उरांव और बन्ना गुप्ता का नाम तेजी से चल रहा है. हालांकि ये फिलहाल अटकलें हैं. पत्ता कांग्रेस आलाकमान को खोलना है. इधर, झामुमो कोटे से मंत्री पद के लिए बसंत सोरेन का नाम सबसे आगे हैं. बसंत सोरेन का कैबिनेट में शामिल होना तय माना जा रहा है. सीता सोरने के नाम पर संशय है. राजनीतिक सूत्रों के अनुसार शिबू सोरेन परिवार से दो लोगों को शायद ही कैबिनेट में जगह मिल पाये. झामुमो में मिथिलेश कुमार ठाकुर और जोबा मांझी की बर्थ सुरक्षित मानी जा रही है. झामुमो सुदिव्य कुमार सोनू और वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी के नाम पर दांव चल सकता है. कांग्रेस के अंदर एक फॉर्मूला पर काम किया जा रहा है. लोकसभा चुनाव के संभावित उम्मीदवारों को मंत्री नहीं बनाने पर विचार किया जा रहा है. कांग्रेस का मानना है कि दमदार उम्मीदवारों को सरकार से दूर रखा जाए. इनको चुनावी मैदान में ही झोंका जाए.

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