Jaya Ekadashi 2023: आज है जया एकादशी, जरूर रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगा शुभफल

Jaya Ekadashi 2023: माघ मास का अंतिम एकादशी व्रत आज 01 फरवरी 2023, बुधवार (Jaya Ekadashi 2023 Date) के दिन रखा जाएगा. इसे जया एकादशी भी कहते हैं. जया एकादशी के दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें करना वर्जित माना जाता है. आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में.

By Shaurya Punj | February 1, 2023 7:00 AM

Jaya Ekadashi 2023:   हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास का अंतिम एकादशी व्रत आज 01 फरवरी 2023, बुधवार (Jaya Ekadashi 2023 Date) के दिन रखा जाएगा. इस दिन साधकों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और कुछ उपाय करने चाहिए, जिनसे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त रहता है. जया एकादशी के दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें करना वर्जित माना जाता है. आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में.

देर तक न सोएं

भगवान विष्णु की आराधना का शुभ दिन जया एकादशी माना जाता है इसलिए इस दिन प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय भी नहीं सोना चाहिए.

तामसिक भोजन का सेवन ना करें

एकादशी तिथि के तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है. ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है. इस दिन मदिरा, मांस, प्याज या लहसुन का सेवन न करें. सात्विक आहार ही ग्रहण करें.

झाड़ू के प्रयोग से बचें

एकादशी तिथि के दिन घर में झाड़ू का प्रयोग नहीं करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि झाड़ू के प्रयोग से छोटे जीवों की हत्या का भय बढ़ जाता है, जिससे जीव हत्या का दोष लग सकता है.

चावल का सेवन न करें

एकादशी के दिन चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो मनुष्य एकादशी के दिन चावल का सेवन करता है वह रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है.

ब्रह्मचर्य का पालन करें

जया एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, जिससे की विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.

जया एकादशी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार 31 जनवरी 2023 को रात 11 बजकर 53 मिनट पर जया एकादशी तिथि शुरू हो चुकी है और इसका समापन 1 फरवरी 2023 को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 1 फरवरी को जया एकादशी का व्रज रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगा और दिन भर रहेगा. बता दें कि दक्षिण भारत में जया एकादशी को भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी नाम से जाना जाता है.

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