Calcutta High Court : हाईकोर्ट ने दिया निर्देश, विवाहित बेटी भी पैतृक परिवार की सदस्य

हाइकोर्ट में लगभग 10 वर्षों तक मामले की सुनवाई चलने के बाद अंततः न्यायमूर्ति देवांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवाहित बेटी को भी उसके पिता के परिवार का सदस्य माना जायेगा.

By Shinki Singh | December 9, 2023 12:31 PM

कलकत्ता हाइकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि विवाहित बेटी को भी पैतृक परिवार के सदस्य के रूप में मानना होगा. इससे पहले, राज्य सरकार ने अदालत में दावा किया था कि कानून के तहत विवाहित बेटी परिवार की सदस्य नहीं है. लेकिन हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के इस दावे को खारिज कर दिया.गौरतलब है कि बीरभूम की रहने वाली रेखा पाल के पिता की संपत्ति को राज्य सरकार ने बक्रेश्वर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित कर ली थी. इस संबंध में, रेखा पाल ने 12 अक्तूबर, 2012 को राज्य के निर्देश के अनुसार विशेष रियायती कोटा के तहत नौकरी के लिए आवेदन किया था.

उन्होंने संपत्ति के मुआवजे के रूप में नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन राज्य ने रेखा पाल की याचिका खारिज कर दी. राज्य की ओर से तर्क दिया गया कि चूंकि रेखा पाल शादीशुदा हैं, इसलिए वह विशेष कोटे वाली नौकरी के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं हैं. लेकिन अपने पिता की मृत्यु के बाद से वह अपनी विधवा मां की देखभाल कर रही हैं. रेखा पाल ने राज्य सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों को चुनौती देते हुए 2013 में कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक दास अधिकारी ने 2014 में राज्य के दिशानिर्देशों को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया.

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साथ ही, राज्य सरकार को रेखा पाल को परिवार का सदस्य घोषित करने का निर्देश दिया. इसके अलावा, अदालत ने रेखा पाल को विशेष कोटा में शामिल करने का भी निर्देश दिया. राज्य ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए डिविजन बेंच में याचिका दायर की थी. कलकत्ता हाइकोर्ट में लगभग 10 वर्षों तक मामले की सुनवाई चलने के बाद अंततः न्यायमूर्ति देवांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवाहित बेटी को भी उसके पिता के परिवार का सदस्य माना जायेगा.

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