Chandrayaan-3 से है सफलता की उम्मीद, इस प्रोजेक्ट की लागत फिल्मों से भी कम

Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा. इससे पहले एजेंसी ने 12 से 19 जुलाई के बीच तिथि तय की थी. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा.

By Shaurya Punj | July 11, 2023 1:36 PM

Chandrayaan 3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया है. चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा. इससे पहले एजेंसी ने 12 से 19 जुलाई के बीच तिथि तय की थी. चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा. अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी.

अब तक कितना खर्च?

बता दें, केवल तीन देश ही ऐसा कर सके हैं. चंद्रयान 2 की आंशिक विफलता के बाद पूरे देश को चंद्रयान-3 का बेसब्री से इंतज़ार है. बता दें, इस बार चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं है जो एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है. ये किसी संचार उपग्रह की तरह काम करेगा. ऐसे में ये जान लेना भी जरूरी है कि इस चंद्रयान में अब तक कितना खर्च हुआ है.

इसरो चीफ ने क्या कहा?

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि हमने चंद्रयान-2 में बहुत सी गलतियां की थीं, लेकिन इस बार हमने उन गलतियों से सीख ली है. असफलता का मतलब ये नहीं है कि हम कोशिश ही ना करें. हम जरूरी इतिहास रचेंगे.

फिल्मों से काम की लागत

इसरो द्वारा चंद्रयान-3 के शुरुआती बजट के लिए 600 करोड़ रुपए की उम्मीद लगाई गई थी जो 615 करोड़ रुपए में पूरी हो पाई. ये चंद्रयान 3 की अंतिम लागत है. चंद्रयान-2 की लागत की बात करें तो इसमें 978 करोड़ रुपए लग गए थे जो अवतार और एवेंजर फिल्मों के बजट से कम ही है. दूसरी ओर चीन का चांग-ई 4 मून मिशन 69.38 लाख करोड़ रुपए में बनाए गए थे. अमेरिका की बात करें तो इसने मून मिशन पर अब तक 825 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

दुनिया का चौथा देश

इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया. यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा.

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