ब्राउजिंग करते समय Cookies को एक्सेप्ट करें या रिजेक्ट? पॉप-अप्स में छिपा है प्राइवेसी का खतरा

Cookies: वेब पर घूमते समय अक्सर हमें बार-बार कुकीज (cookies) की परमिशन मांगने वाले पॉप-अप नजर आते हैं, जो आपसे पूछते हैं कि आप "सभी कुकीज को एक्सेप्ट करें" या "सभी को रिजेक्ट करें" चुनना चाहते हैं. आज हम आपको इसी कुकीज में बारें में बताने जा रहें है कि आखिर ये होती क्या है, काम कैसे करती है और क्या हमें इसे एक्सेप्ट करना चाहिए या रिजेक्ट.

By Ankit Anand | September 16, 2025 11:52 PM

Cookies: जब भी आप इंटरनेट पर किसी वेबसाइट विजिट करते हैं, तो बार-बार एक पॉप-अप बैनर आ ही जाते हैं जो आपसे पूछते हैं कि आप “सभी कुकीज को एक्सेप्ट करें” या “सभी को रिजेक्ट करें” चुनना चाहते हैं। ज्यादातर लोग इन्हें एक छोटी सी परेशानी मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन असल में कुकीज वेबसाइट के काम करने और आपकी जानकारी इस्तेमाल करने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। इसलिए हमें इसके बारे में अच्छे से जानने की जरूरत है कि आखिर कुकीज कैसे काम करती हैं और इनमें क्या खतरे हो सकते हैं, ये समझना काफी जरूरी है ताकि आप अपनी प्राइवेसी को लेकर सही कदम उठा सकें। तो आइए जानते है इसके बारे में…  

Cookies क्या होती है और ये कैसे काम करती है?

कुकीज छोटे-छोटे फाइल होते हैं जो वेबसाइट आपके फोन या कंप्यूटर में सेव कर देती है. इनका काम होता है आपकी जानकारी याद रखना ताकि वेबसाइट ठीक से चले और आपका एक्सपीरियंस आसान बने. इन्हें चार हिस्सों में बांटा गया है:

एसेंशियल कुकीज: ये वेबसाइट चलाने के लिए जरूरी हैं, जैसे लॉगिन करना या शॉपिंग कार्ट इस्तेमाल करना. इन्हें बंद नहीं किया जा सकता.

फंक्शनल कुकीज: ये आपकी सेटिंग्स को याद रखते हैं, जैसे भाषा या आपका चुना हुआ रीजन.

एनालिटिक्स कुकीज: ये बताती हैं कि यूजर वेबसाइट पर क्या-क्या करते हैं, यानी वेबसाइट की परफॉर्मेंस समझने में मदद करती हैं.

एडवरटाइजिंग कुकीज: ये आपके इंटरनेट इस्तेमाल को ट्रैक करती हैं और उसी के हिसाब से आपको ऐड दिखाती हैं.

कुछ कुकीज सिर्फ तब तक रहती हैं जब तक आप ब्राउजर बंद नहीं कर देते, लेकिन कुछ हफ्तों या महीनों तक भी डिवाइस में सेव रह सकती हैं.

Cookies को “Accept” करें या “Reject”  

“Accept all” पर क्लिक करने का मतलब है कि आप हर तरह के कुकीज (Cookies) को ऑन कर रहे हैं. इससे आपको पर्सनलाइज्ड कंटेंट और पूरी वेबसाइट की सुविधाएं मिलेंगी. लेकिन इसका नुकसान ये है कि एडवर्टाइजर और थर्ड पार्टी के दरवाजे खुल जाएंगे और आपके ऑनलाइन बिहेवियर को अच्छे तरीके से ट्रैक कर सकेंगे. अगर आप सभी कुकीज को मना (Reject) कर देते हैं (सिवाय जरूरी वाले कुकीज के), तो आपकी प्राइवेसी बेहतर रहेगी, लेकिन वेबसाइट की कई फीचर्स ठीक से काम नहीं करेंगे और ब्राउजिंग थोड़ी दिक्कत भरी हो सकती है.

कुकी बैनर बढ़ने की वजह है GDPR (General Data Protection Regulation), जिसे 2018 में यूरोपियन यूनियन ने लागू किया था. इसके तहत वेबसाइट को किसी भी पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने से पहले यूजर की परमिशन लेनी जरूरी है.

Cookies को कर सकते हैं मैनेज 

पॉप-अप हर जगह नजर आने लगे हैं, जिसकी वजह से लोग अक्सर “कन्सेंट थकान” (consent fatigue) महसूस करते हैं. ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे बस “Accept All” पर क्लिक कर देते हैं. अब एक नया ऑप्शन आया है जिसे ग्लोबल प्राइवेसी कंट्रोल (GPC) कहते हैं. ये आपके ब्राउजर से अपने-आप एक सिग्नल भेज देता है कि आपकी प्राइवेसी सेटिंग्स क्या हैं. लेकिन अभी तक इसे बहुत कम लोग इस्तेमाल कर रहे हैं और ज्यादातर लोग खुद ही कुकी सेटिंग्स मैनेज करते हैं.

आप चाहें तो ब्राउजर की सेटिंग में जाकर कुकीज (Cookies) डिलीट कर सकते हैं, हर वेबसाइट पर जाकर परमिशन चेक कर सकते हैं या फिर Electronic Frontier Foundation का Cover Your Tracks टूल इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे पता चलता है कि आपके पीछे कितनी ट्रैकिंग चल रही है.

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