अंतरिक्ष में तैयार होगा मांस, शाकाहारी भी लेंगे मांसाहार का स्‍वाद

नईदिल्ली : मांस वो भी शाकाहारी… सुनने में भले ही अजीब लगे, पर है सोलह आने सच. तकनीक की इस दुनिया में विज्ञान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. इसी को चरितार्थ करते हुए वैज्ञानिकों ने ये करिश्‍मा कर दिखाया है. इजराइल की एक कंपनी एलेफ फार्म्स ने ऐसे मांस का निर्माण किया है […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 18, 2019 6:57 AM

नईदिल्ली : मांस वो भी शाकाहारी… सुनने में भले ही अजीब लगे, पर है सोलह आने सच. तकनीक की इस दुनिया में विज्ञान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. इसी को चरितार्थ करते हुए वैज्ञानिकों ने ये करिश्‍मा कर दिखाया है. इजराइल की एक कंपनी एलेफ फार्म्स ने ऐसे मांस का निर्माण किया है जो शाकाहारी व्‍यंजन है. कंपनी ने अंतरिक्ष में कृत्रिम तरीके से इसे बनाया है. इसके निर्माण में प्राकृतिक विधियों की सहायता ली गई है.

जेनेटिक तरीके से किया गया है निर्माण
सबसे खास बात यह है कि इसे तैयार करने के लिए किसी जानवर की हत्या नहीं की गयी है. सिर्फ मांस की संरचना की जेनेटिक पद्धतियों को विकसित कर अंतरिक्ष में यह काम किया गया है. वास्‍तविक मांस और इस कृत्रिम मांस में फर्क सिर्फ इतना है कि इसे अंतरिक्ष में बनाया गया है. इस काम को करने के लिए वैज्ञानिकों ने थ्री डी प्रिंटिंग की तकनीक का सहारा लिया है.

क्‍यों है ये पूरी तरह शाकाहारी
इस मांस को शाकाहारी मांस इसलिए कहा जा रहा है क्‍योंकि इसे बनाने में किसी जानवर को नहीं मारा गया. दरअसल यह इजरायली कंपनी मुख्य तौर पर गौमांस का कारोबार करती रही है. लेकिन इस बार उसने जो मांस तैयार किया है, वह किसी जानवर की हत्या से नहीं बल्कि शुद्ध तौर पर प्रयोगशाला में विकसित की गयी है. इस लिहाज से इसे शाकाहारी प्रोटिन माना जा सकता है.
इसे अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर तैयार किया गया है. यह स्पेस स्टेशन हमारी पृथ्वी से करीब 248 मील की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में काम कर रहा है. इसी अनुसंधान केंद्र में यह मांस विकसित किया गया हैं. इसके सफल होने के बाद इस प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिक मानते हैं कि इस विधि के विकास से दुनिया के भोजन की समस्या का बेहतर समाधान हो सकता है. इसके लिए पशु हत्या अथवा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की भी अब कोई आवश्यकता नहीं रहेगी.
हल होगी भोजन की समस्‍या
वैसे इस मांस पर अभी और वैज्ञानिक परीक्षण किया जाना है. कृत्रिम भोजन और खासकर मांस उत्पादन के पीछे की सोच दुनिया में तेजी से बढ़ रही भोजन की कमी है. दुनिया की आबादी के मुकाबले भोजन तेजी से घटते जा रहे हैं. दूसरी तरफ भोजन तैयार करने के लिए मौसम, उपजाऊ जमीन और पानी की भी जरूरत होती है.
वैज्ञानिकों ने इन तीनों आवश्यकताओं को अलग करते हुए प्रयोगशाला में इसे तैयार करने की सोच पर काम करते हुए यह सफलता पायी है. अब वैज्ञानिक यह कह रहे हैं कि इस विधि को आजमाने से न तो किसी जानवर की हत्या की जरूरत रहेगी. न ही मौसम पर निर्भरता रहेगी.
जमीन से कम होगा बोझ
इस मांस के उत्‍पादन के बाद खाद्य पदार्थ उगाने के लिए जमीन और पानी दोनों की जरूरतों भी समाप्त हो जाएंगी. इससे पृथ्वी पर लगातार बढ़ रहा पर्यावरण पर बोझ और पशुधन की कमी को भी दूर किया जा सकेगा. इससे कई फायदे होंगे. कृत्रिम मांस बनाने वाली इजरायली कंपनी मुख्य तौर पर गोमांस का ही कारोबारी करती आयी है. इस बार अंतरिक्ष में प्रयोगशाला में कृत्रिम मांस तैयार कर वह भोजन में प्रोटिन की कमी दूर करने के इस विकल्प को बेहतर समाधान मान रही है.
कंपनी ने इस प्रयोग के सफल होने के बाद जानकारी दी है कि सामान्य तौर पर जिस तरीके से किसी भी जीवित प्राणी के शरीर में मांस का निर्माण होता है, उन्हीं विधियों को प्रयोगशाला में और अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक आजमाया गया है. रुस के साथ मिलकर इस प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए वैज्ञानिकों ने थ्री डी बॉयोप्रिटंर की मदद से एक छोटा सा हिस्सा तैयार किया था. इसके बाद उसके विकसित होने के अन्य आवश्यकताओं को वैज्ञानिक विधि से उसमें जोड़ा गया है.
पानी की नहीं होगी जरूरत
शून्य गुरुत्वाकर्षण में विकसित यह उत्पादन गुणात्मक तौर पर बिल्कुल असली मांस के जैसा ही है, ऐसा दावा किया गया है. इस कंपनी के सह संस्थापक और अलेफ फार्म्स के सीइओ डिडीयर टौबिया ने कहा कि अंतरिक्ष में आपको भोजन तैयार करने के लिए पानी की उपलब्धता नहीं है.
जिस तरीके से खेतों में 10 से 15 हजार लीटर पानी की जरूरत पड़ती है, वहां यह शून्य है. इससे हम खेती के लिए खर्च होने के वाले जल का बहुत बड़ा हिस्सा अगली पीढ़ी के लिए बचा सकते हैं. साथ भी उर्वरकों की वजह से जमीन में जो दबाव बढ़ा हुआ है, इसे समाप्त कर सकते हैं. इससे जमीन भी अपनी पूर्व स्थिति में लौट जाएगी. यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद ही होगा.

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