Dark Matter की खोज के लिए CERN का नया प्रयोग

जिनेवा : विश्व का सबसे बड़ा एवं सबसे शक्तिशाली पार्टिकल एक्सिलरेटर रखने वाला यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संस्थान (CERN) करिश्माई डार्क मैटर (आंध्र पदार्थ) से जुड़े कणों को तलाशने के लिए एक नये तरह का प्रयोग करने की योजना बना रहा है. डार्क मैटर के बारे में माना जाता है कि ब्रह्मांड का 27 प्रतिशत हिस्सा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 9, 2019 9:19 PM

जिनेवा : विश्व का सबसे बड़ा एवं सबसे शक्तिशाली पार्टिकल एक्सिलरेटर रखने वाला यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संस्थान (CERN) करिश्माई डार्क मैटर (आंध्र पदार्थ) से जुड़े कणों को तलाशने के लिए एक नये तरह का प्रयोग करने की योजना बना रहा है.

डार्क मैटर के बारे में माना जाता है कि ब्रह्मांड का 27 प्रतिशत हिस्सा इसी से बना हुआ है. CERN ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने उस प्रयोग को मंजूरी दे दी है जिसके तहत लार्ज हैड्रन कोलाइडर (LHC) में प्रकाश एवं कमजोर प्रभाव डालने वाले कणों की खोज की जाएगी.

LHC एक विशाल प्रयोगशाला है जो फ्रांस-स्विट्जरलैंड सीमा पर 27 किलोमीटर लंबी सुरंग में बनी हुई है. यूरोपीय भौतिकी प्रयोगशाला ने एक बयान में बताया कि फेजर (फॉरवर्ड सर्च एक्सपेरिमेंट) सीईआरएन के जारी भौतिकी विज्ञान कार्यक्रम को और मजबूत बनाएगा और कई अन्य कणों की संभावित खोज को विस्तार देगा.

इन नये कणों की खोज में कुछ कण डार्क मैटर से जुड़े हुए कण भी हैं. डार्क मैटर के बारे में ऐसी कल्पना है कि यह विद्युत चुंबकीय (इलेक्ट्रोमैगनेटिक) बल से बच कर निकल जाता है और परिणामस्वरुप उत्सर्जित प्रकाश के माध्यम से इसका प्रत्यक्ष तौर पर पता नहीं लगाया जा सकता है.

एस्ट्रोफिजिक्स से जुड़े साक्ष्य दिखाते हैं कि ब्रह्मांड 27 प्रतिशत डार्क मैटर से बना हुआ है लेकिन इसका अध्ययन कभी किसी प्रयोगशाला में नहीं किया गया है. अज्ञात कणों का पता लगाने में दिलचस्पी बढ़ने के साथ ही कई नये प्रयोगों का प्रस्ताव दिया गया है ताकि सीईआरएन के एक्सिलरेटर की वैज्ञानिक क्षमता को विस्तार दिया जा सके.

इन कणों का पता लगाने के लिए फेजर के तहत एक डिटेक्टर बनाया जाएगा जो 2021 से 2023 के बीच एलएचसी के तीसरे बार चालू होने के बाद उससे डेटा लेना शुरू कर अपने प्रयोग शुरू करेगा.

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