10 Year Challenge के बहाने कहीं आपका Facial Data चोरी तो नहीं हो रहा?

इन दिनों सोशल मीडिया पर 10 Year Challenge की आंधी चल रही है. इसमें यूजर्स अपनी 10 साल पुरानी और मौजूदा फोटोज का कोलाज बनाकर एकसाथ शेयर कर रहे हैं. फेसबुक से शुरू हुए इस क्रेज के दीवाने ऐसाकरके यह देख और दिखा रहे हैं कि उनमें कितना बदलाव आया है. #10YearChallenge के साथ फेसबुक, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 18, 2019 6:59 PM

इन दिनों सोशल मीडिया पर 10 Year Challenge की आंधी चल रही है. इसमें यूजर्स अपनी 10 साल पुरानी और मौजूदा फोटोज का कोलाज बनाकर एकसाथ शेयर कर रहे हैं. फेसबुक से शुरू हुए इस क्रेज के दीवाने ऐसाकरके यह देख और दिखा रहे हैं कि उनमें कितना बदलाव आया है.

#10YearChallenge के साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल साइट्स पर अब तक लाखों यूजर्स अपनी तस्वीरें पोस्ट कर चुके हैं. इनमें बॉलीवुड, हॉलीवुड सेलिब्रिटीज से लेकर नामी खिलाड़ी, बिजनेस टाइकून्स तक शामिल हैं.

लेकिन कहीं ऐसा तो नहींकि इस चैलेंजकेबहाने आपका फेशियल डेटा कलेक्ट किया जा रहा है? दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से ऐसी खबरें आ रही हैं कि यूजर्स संशय में हैं कि कहीं यह डेटा कलेक्ट तो नहीं हो रहा!

उठ रहे हैं सवाल
अब सवाल उठ रहे हैं कि इस चैलेंज को फेसबुक ने इसलिए शुरू किया ताकि लोगों का डेटा जुटाया जा सके और उसका इस्तेमाल फेशियल रिकग्निशन एल्गोरिदम को बेहतर बनाने में किया जा सके. टेक्नोलॉजी ऑथर/टेक जर्नलिस्ट केट ओ नील ने वायर्ड डॉट कॉम के लिए एक आर्टिकल लिखा है, जिसमें उन्होंने इस चैलेंज के जरिये लोगों की प्राइवेसी के साथ समझौता होने की आशंका जतायी है. इसने एक नयी बहस को जन्म दिया है.

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डेटा कलेक्शन का तरीका
केट ओनील ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखते हुए शक जाहिर किया कि यह चैलेंज फेसबुक के उस एआई मैकेनिज्म के लिए लर्निंग का तरीका है, जो चेहरों को पहचानता है. इसके बाद सवाल उठे कि कहीं यह चैलेंज फेशियल डेटा कलेक्शन का तरीका तो नहीं.

डेटा का इस्तेमाल यहां
केट ने लिखा, फेसबुक के #10YearChallenge में लोग अपनी फोटो के साथ साल भी लिख रहे हैं, जैसे ‘मी इन 2008 और मी इन 2018. इसके अलावा कुछ यूजर्स अपनी फोटो की लोकेशन भी बता रहे हैं, जिससे इस चैलेंज के जरिये ही एक बड़ा डेटा तैयार हो गया है कि लोग 10 साल पहले और अब कैसे दिखते हैं. उन्होंने बताया कि इस डेटा का इस्तेमाल फेशियल रिकग्निशन एल्गोरिदम को ट्रेन्ड करने में किया जाता है.

पास्ट और प्रेजेंट डेटा
केट ने एक पोस्ट में लिखा, जरा सोचिए अगर आपको अपनी साइट के फेस रिकग्निशन एल्गोरिदम को अपडेट और ट्रेन करना हो. खासकर एज रिलेटेड प्वाइंट्स और एज प्रोग्रेशन के बारे में इसे अपडेट करना चाहें, तो आप कई लोगों की नयी और पुरानी तस्वीरें एक साथ चाहेंगे. यह तब ज्यादा कारगर होगा जब आपके पास इनके बीच के गैप के लिए एक फिक्स नंबर हो, जैसे 10 साल. उन्होंने कहा कि ऐसे डेटा को पास्ट और प्रेजेंट से सीधे जोड़ा जा सकता है.

फेसबुक की सफाई
हालांकि, फेसबुक ने इन दावों को खारिज किया है. उसने इसे यूजर जनरेटेड मीम बताया है. फेसबुक का कहना है कि हमने यह ट्रेंड शुरू नहीं कियाहै. मीम में इस्तेमाल किये गये फोटो फेसबुक पर पहले से ही मौजूद हैं. फेसबुक को इस मीम से कुछ नहीं मिल रहा. फेसबुक यूजर्स फेशियल रिकग्निशन को कभी भी ऑन या ऑफ कर सकते हैं. यह फेसबुक पर लोगों के मस्ती करने का सबूत है. बस इतना ही.

डेटा चोरी का पुराना दागदार
फेसबुक की इस सफाई के बावजूद कई यूजर्स केट ओ नील की थ्योरी पर भरोसा कर रहे हैं क्योंकि डेटा चोरी को लेकर फेसबुक को पहले भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

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