Artificial Intelligence से सुलझेगी गुरुत्वाकर्षण की गुत्थी…!

लंदन : वैज्ञानिकों ने गुरुत्वीय तरंगों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) से जुड़ी तकनीक का इस्तेमाल किया है. महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1915 में सबसे पहले गुरुत्वीय तरंगों की परिकल्पना की थी. ये तरंगें बड़ी खगोलीय घटनाओं से उत्पन्न होती हैं. एक सदी से भी अधिक समय बाद अमेरिका में लेजर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 10, 2018 3:54 PM

लंदन : वैज्ञानिकों ने गुरुत्वीय तरंगों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) से जुड़ी तकनीक का इस्तेमाल किया है. महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1915 में सबसे पहले गुरुत्वीय तरंगों की परिकल्पना की थी.

ये तरंगें बड़ी खगोलीय घटनाओं से उत्पन्न होती हैं. एक सदी से भी अधिक समय बाद अमेरिका में लेजर इंटरफेरोमेट्री गुरुत्वीय तरंग वेधशाला (लिगो) ने पहली बार द्विआधारी काले छिद्र (बायनरी ब्लैक होल) की टक्कर से उत्पन्न गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाया था.

ब्रिटेन के ग्लास्गो विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात का अध्ययन किया कि क्या ‘डीप लर्निंग’ के इस्तेमाल से गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने की प्रक्रिया में मदद मिल सकती है या नहीं.

‘डीप लर्निंग’ कृत्रिम बुद्धिमता का एक प्रकार है. यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लास्गो के हंटर गब्बार्ड ने उम्मीद जाहिर की कि एक बार डीप लर्निंग अलगोरिदम को जब यह समझ में आ जायेगा कि संकेतों का पता लगाने के लिए किन चीजों पर गौर करना है, तो इससे किसी भी अन्य तकनीक की तुलना में गुरुत्वीय तरंगों की जल्द और सटीक पहचान में मदद मिल सकती है.

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