बाबुल सुप्रियो ने क्यों लिया राजनीति से संन्यास? FB पर बांग्ला पोस्ट का हूबहू हिंदी अनुवाद यहां पढ़ें

Babul Supriyo Facebook Post: बाबुल सुप्रियो ने लंबा फेसबुक पोस्ट लिखा और राजनीति से किनारा कर लिया. सरकारी आवास खाली कर देंगे. बाबुल ने बांग्ला में जो पोस्ट लिखा है, उसका हू-ब-हू हिंदी अनुवाद यहां पढ़ें...

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2021 10:28 PM

Babul Exits From Politics|Babul Supriyo Facebook Post: कोलकाता: बॉलीवुड में सिंगिंग का अपना शानदार करियर छोड़कर 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार होकर राजनीतिक पारी शुरू करने वाले बाबुल सुप्रियो ने 31 जुलाई 2021 को अपनी राजनीतिक पारी समाप्त करने की घोषणा कर दी. जी हां, पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतने और नरेंद्र मोदी की कैबिनेट दो-दो बार मंत्री रहने वाले बाबुल सुप्रियो ने राजनीति से संन्यास का एलान कर दिया है. बाबुल ने एक लंबा फेसबुक पोस्ट लिखा और राजनीति से किनारा कर लिया. कहा है कि लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे. एक महीने के भीतर सरकारी आवास भी खाली कर देंगे. बाबुल ने बांग्ला में जो पोस्ट लिखा है, उसका हू-ब-हू हिंदी अनुवाद यहां पढ़ें…

चोललाम… (मैं चला…)

Alvida…(अलविदा…)

सबकी सारी बातें सुनीं. पिता, (मां) स्त्री, बेटी, कुछ प्रिय दोस्त… सबकी बातें सुनकर और अनुभव करने के बाद ही कह रहा हूं कि किसी और पार्टी में नहीं जा रहा हूं. टीएमसी, कांग्रेस, सीपीएम कहीं नहीं कन्फर्म कर रहा हूं, किसी ने मुझे बुलाया भी नहीं है, मैं कहीं जा भी नहीं रहा हूं.

बाबुल सुप्रियो ने लिखा है- मैं एक टीम प्लेयर हूं. हमेशा एक टीम को सपोर्ट किया- मोहन बागान को. मैंने सिर्फ एक पार्टी इसके बाद उन्होंने लिखा- चोललाम… (मैं चला…). (हालांकि बाद में उन्होंने अपने पोस्ट को संशोधित किया और दूसरी पार्टी में नहीं जाने और बीजेपी को सपोर्ट करने वाली बात को हटा दिया.)

Also Read: बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने राजनीति से लिया संन्यास, बोले- मैं चला, अलविदा…

काफी दिनों तक तो रहा… कुछ लोगों का दिल रखा, कुछ लोगों का दिल तोड़ा… हो सकता है कि मैंने अपने काम से कहीं आपलोगों को खुश किया होगा, कहीं निराश और हताश किया. मूल्यांकन आपलोग ही करेंगे.

मेरे मन में अब तक जितने भी सवाल उठे हैं, उन सबका जवाब देने के बाद ही कह रहा हूं… अपने हिसाब से ही कह रहा हूं. मैं चला…

सामाजिक कार्य करने के लिए राजनीति में रहना जरूरी नहीं है. पहले खुद को समेट लूं. उसके बाद…

हां, सांसद के पद से भी निश्चित तौर पर इस्तीफा दे रहा हूं!

पिछले दिनों कई बार अमित शाह और जेपी नड्डा से बात की. राजनीति छोड़ने के अपने संकल्प के बारे में उन्हें बताया. मैं उनका हमेशा कृतज्ञ रहूंगा कि उन्होंने हर बार मुझे राजनीति नहीं छोड़ने के लिए समझाया और मना लिया.

Also Read: बाबुल सुप्रियो ने Facebook पर हेमंत मुखोपाध्याय का YouTube लिंक शेयर कर कहा- चोललाम, Alvida

मैं उनके इस प्यार को कभी नहीं भूल पाऊंगा. यही वजह है कि अब मैं राजनीति छोड़ने के बारे में उनसे बात करने की धृष्टता नहीं कर पाऊंगा.

खासकर मुझे क्या करना है, इसके बार में मैंने बहुत पहले ही सोच लिया था. अंतिम फैसला लेने में थोड़ी देर हो गयी. इसलिए वे कह सकते हैं कि मैं किसी पद के लिए बारगेन कर रहा हूं. और जबकि यह बिल्कुल ही सत्य नहीं है, तो मैं बिल्कुल नहीं चाहता कि उनके मनके किसी कोने में तनिक भी संदेह रह जाये- एक क्षण के लिए भी नहीं.

मैं प्रार्थना करता हूं कि मुझे गलत न समझते हुए मुझे माफ कर दें.

मैं और ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा- अब आपलोग बोलेंगे और मैं सुनूंगा. सुबह में, शाम में.

Also Read: बाबा रामदेव ने विमान में ऐसा क्या कहा था कि बॉलीवुड छोड़कर राजनीति में आ गये बाबुल

लेकिन, मुझे एक सवाल का जवाब देना ही होगा, क्योंकि यह जरूरी है. प्रश्न तो उठेंगे ही कि राजनीति क्यों छोड़ी? मंत्री पद छिन जाने से इसका कोई संबंध है क्या? हां है- कुछ हद तक तो निश्चित रूप से है! मैं उन तमाम सवालों के जवाब दे देना चाहता हूं. इससे मुझे भी मानसिक शांति मिलेगी.

वर्ष 2014 और 2019 में बड़ा फर्क है. तब (2014 में) बीजेपी के टिकट पर मैं अकेला ही था. अहलूवालिया जी ने जीजेएम (बीजेपी की सहयोगी पार्टी) के टिकट पर दार्जीलिंग लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी. लेकिन, आज पश्चिम बंगाल में बीजेपी ही मुख्य विपक्षी दल है. आज पार्टी में बहुत से तेजस्वी युवा तुर्क हैं. उसी तरह से बहुत से पुराने नेता भी हैं, जिनकी पार्टी में कोई पूछ नहीं रह गयी है. वे विदग्ध हो गये हैं.इन लोगों के नेतृत्व में पार्टी को अभी बहुत लंबा सफर तय करना है. यह कहने में भी मुझे कोई हिचक नहीं है कि आज पार्टी में किसी व्यक्ति विशेष के रहने या पार्टी छोड़कर चले जाना कोई मायने नहीं रखता. यह स्पष्ट भी हो गया है और इसे स्वीकार कर लेना ही सही निर्णय होगा, यह मेरा दृढ़, अति दृढ़ विश्वास है.

और एक बात… बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले से ही कुछ मामलों में राज्य के नेतृत्व के साथ मेरे कुछ मतभेद हो रहे थे. ये हो ही सकता है, लेकिन कुछ मामले सार्वजनिक हो जा रहे थे. इसके लिए कहीं मैं जिम्मेदार रहा हूं, तो कहीं दूसरे लोग गंभीर रूप से जिम्मेदार रहे हैं. हालांकि, कौन कितना जिम्मेदार था, उस पर मैं आज कोई बात नहीं करूंगा, लेकिन सीनियर नेताओं के बीच मतभेद और कलह की वजह से पार्टी को काफी नुकसान हो रहा था. ग्राउंड जीरो पर पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं बढ़ रहा है, यह समझनने के लिए रॉकेट साइंस के ज्ञान की जरूरत नहीं होती. आसनसोल की जनता ने मुझे जो प्यार दिया, उसके लिए मैं अभिभूत हूं और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और राजनीति से खुद को ही अलग कर लेता हूं.

Also Read: मुकुल को ट्विटर पर फॉलो करने वाले बाबुल ने बंगाल बीजेपी में कलह को किया उजागर

मैं नहीं मानता कि मैं कहीं चला गया था. मैं अपने पास ही था. इसलिए लौटकर कहीं जा रहा हूं, आज ये भी नहीं कहूंगा.

बहुत से नये मंत्रियों को अब तक सरकारी आवास आवंटित नहीं हुआ है. इसलिए एक महीने के अंदर (जितनी जल्दी संभव हो- हो सकता है उसके पहले भी) मैं अपना सरकारी आवास खाली कर दूंगा. नहीं, अब वेतन भी नहीं लूंगा. (आखिरी वाक्य को बाद में ह दिया गया).

हां, सांसद पद से भी निश्चित तौर पर इस्तीफा दे रहा हूं!

आकाश में, एक विमान में स्वामी रामदेव के साथ एक संक्षित बातचीत हुई थी. बिल्कुल ही अच्छा नहीं लगा, जब पता चला कि बीजेपी बंगाल को बेहद गंभीरता से ले रही है. पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में एक भी सीट बीजेपी जीत नहीं पायेगी. मन में आया कि जो बंगाली श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी को इतना सम्मान देता है, प्यार करता है, वही बंगाली बीजेपी को एक भी सीट नहीं देगा, ये कैसे हो सकता है!!! विशेष रूप से तब, जब पूरे भारत ने चुनाव से पहले ही तय कर लिया था कि नरेंद्र मोदी ही देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे, तो बंगाल उससे इतर कैसे सोच सकता था. तभी लगा था कि एक बंगाली की हैसियत से मुझे इस चैलेंज को स्वीकार करना चाहिए. इसलिए सबकी बातें सुनी, लेकिन किया था वही, जो मेरे मन ने कहा था. अनिश्चय से बिना डरे, मुझे जो ठीक लगा, मैंने किया. मन से किया. प्राण-पन से किया.

1992 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नौकरी छोड़कर मुंबई भागते समय भी वही किया था, जो मैंने आज किया है!!!

चोल्लाम… (मैं चला…)

हां, कुछ बातें बाकी रह गयीं…

हो सकता है कभी बोलूंगा…

आज नहीं कहता…

अच्छा चलता हूं…

Posted By: Mithilesh Jha

Next Article

Exit mobile version