हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को किया खारिज

निचली अदालत ने आरोपित को गंभीर यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म का प्रयास, दोनों का दोषी पाया और उसे 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनायी.

By GANESH MAHTO | April 27, 2025 1:14 AM

गंभीर यौन उत्पीड़न आरोप का मामला कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा एक आरोपी को दोषी ठहराने और सजा सुनाने के पहले के आदेश को निलंबित करते हुए कहा कि पीड़िता के स्तन छूने का प्रयास यौन पॉक्सो अधिनियम के तहत के तहत केवल गंभीर यौन उत्पीड़न का आरोप है, न कि दुष्कर्म के प्रयास का. निचली अदालत ने आरोपित को गंभीर यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म का प्रयास, दोनों का दोषी पाया और उसे 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनायी. अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति विश्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने यह भी कहा कि मामले में पीड़िता की मेडिकल जांच में दुष्कर्म के प्रयास का संकेत नहीं मिला. पीड़िता के बयान के अनुसार, आरोपित ने शराब के नशे में उसके स्तन छूने का प्रयास किया. खंडपीठ ने कहा कि यदि अंतिम सुनवाई के बाद आरोप को केवल गंभीर यौन उत्पीड़न कर दिया जाता है, तो दोषी के लिए कारावास की अवधि भी 12 वर्ष से घटकर पांच से सात वर्ष के बीच हो जायेगी. इस विशेष मामले में दोषी पहले ही 28 महीने सलाखों के पीछे बिता चुका है. पीठ ने आदेश दिया कि अपील के निपटारे तक या अगले आदेश तक जो भी पहले हो, दोषसिद्धि और सजा के आदेश का संचालन निलंबित रहेगा. इसने अपील के निपटारे तक जुर्माने के भुगतान पर भी रोक लगा दी. हालांकि साथ ही खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियों का अपील की सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए.

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