कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार शील भंग का अपराध नहीं : हाइकोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने माना है कि कार्यस्थल पर केवल उत्पीड़न और दुर्व्यवहार भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं माना जायेगा. जस्टिस डॉ अजय कुमार मुखर्जी ने कहा : बार-बार दोहराये जाने के बावजूद, मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि शिकायत में भी यह नहीं बताया गया है कि याचिकाकर्ता ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि केवल उत्पीड़न शब्द का उल्लेख किया गया है.

By BIJAY KUMAR | July 30, 2025 11:27 PM

कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने माना है कि कार्यस्थल पर केवल उत्पीड़न और दुर्व्यवहार भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं माना जायेगा. जस्टिस डॉ अजय कुमार मुखर्जी ने कहा : बार-बार दोहराये जाने के बावजूद, मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि शिकायत में भी यह नहीं बताया गया है कि याचिकाकर्ता ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि केवल उत्पीड़न शब्द का उल्लेख किया गया है. न्यायाधीश ने कहा कि कार्यस्थल पर केवल उत्पीड़न या कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार करना भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक कि आवश्यक शर्तें पूरी न की गयी हों.न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता और उसके सहयोगियों द्वारा कार्यस्थल पर उसे गंभीर रूप से धमकाया और प्रताड़ित किया गया. न्यायालय ने कहा : न तो प्राथमिकी में और न ही जांच के दौरान एकत्रित सामग्री में, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दर्ज बयान भी शामिल हैं, इसमें आगे कहा गया : इस मामले में, याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता की गरिमा का अपमान करने के इरादे और ज्ञान को स्थापित करने के लिए कोई सामग्री नहीं दिखायी देती है, न ही याचिकाकर्ता के किसी ऐसे कृत्य का वर्णन किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि याचिकाकर्ता का इरादा शिकायतकर्ता, जो एक महिला है, की शालीनता को ठेस पहुंचाने का था. यह माना गया कि समग्र शिकायत में केवल ””उत्पीड़ित”” या ””दुर्व्यवहार”” शब्दों का प्रयोग अपेक्षित इरादे या ज्ञान को प्रदर्शित नहीं करता है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि याचिकाकर्ता का कोई भी कथित कृत्य शिकायतकर्ता की गरिमा का अपमान करता है. तदनुसार, मामला रद्द कर दिया गया.

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