बंगाल चुनाव से पहले 1.36 करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलायेगा चुनाव आयोग

SIR Bengal: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले 1.36 करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जायेगा. ये वो लोग हैं, जिन्होंने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान कुछ संदिग्ध जानकारी दी है. सीईओ बंगाल ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश सुनवाई में उपस्थित नहीं हो पाता है, तो उस पर निश्चित रूप से विचार किया जायेगा. अग्रवाल ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान इन मतदाताओं के नाम चिह्नित किये गये थे.

By Mithilesh Jha | December 18, 2025 7:04 AM

SIR Bengal : पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत लगभग 1.36 करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जायेगा. निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि राज्य ने निर्धारित समय सीमा के भीतर एसआईआर की प्रक्रिया पूरी कर ली है.

सीईओ बंगाल मनोज अग्रवाल बोले- समय पर पूरा किया काम

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीइओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा है कि बड़े राज्यों में हमने समय पर काम पूरा कर लिया. अन्य राज्यों ने अधिक समय मांगा है. उन्होंने कहा कि लगभग एक करोड़ 36 लाख मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जायेगा. हालांकि, यह संख्या कम हो सकती है.

एसआईआर के दौरान चिह्नित किये गये थे मतदाता

पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश सुनवाई में उपस्थित नहीं हो पाता है, तो उस पर निश्चित रूप से विचार किया जायेगा. अग्रवाल ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान इन मतदाताओं के नाम चिह्नित किये गये थे.

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SIR Bengal: मसौदा मतदाता सूची से 58 लाख लोगों के नाम हटाये गये

मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने एसआईआर के बाद पश्चिम बंगाल की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की थी. इसमें मृत्यु और पलायन सहित विभिन्न कारणों से अपने घर पर नहीं मिले 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिये गये. वर्ष 2026 के बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले जिलों और सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाता सूची को फिर से तैयार किया गया.

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1.36 लाख मतदाताओं की जानकारी लग रही संदिग्ध

अग्रवाल ने कहा कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) सुनवाई के लिए नोटिस देने उसी तरह घर-घर जायेंगे, जैसा उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया को पूरा करने से पहले किया था. ड्राफ्ट रोल के मुताबित, एक करोड़ 36 लाख मतदाताओं ने गणना प्रपत्र में जो तथ्य दिये थे, उसे आयोग संदेह की दृष्टि से देख रहा है. ऐसे वोटरों को ही सुनवाई के लिए बुलाया जायेगा. इसकी संख्या कम भी हो सकती है.

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