पालतू जानवर किसी और को नुकसान पहुंचाये, तो मालिक जिम्मेदार : हाइकोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने पालतू जानवर को लेकर एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी का पालतू जानवर किसी और को नुकसान पहुंचाता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी उस जानवर के मालिक की होगी. अदालत ने एक मामले में साफ शब्दों में कहा कि पालतू जानवर से होने वाले खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

By BIJAY KUMAR | May 28, 2025 11:24 PM

कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने पालतू जानवर को लेकर एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी का पालतू जानवर किसी और को नुकसान पहुंचाता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी उस जानवर के मालिक की होगी. अदालत ने एक मामले में साफ शब्दों में कहा कि पालतू जानवर से होने वाले खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह फैसला उस वक्त आया, जब सोनारपुर के एक शख्स ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक केस को रद्द किया जाये. आरोप था कि उनके 10-12 कुत्तों ने एक व्यक्ति पर हमला कर दिया था, जिससे उसे चोट लगी. हालांकि आरोपी ने दावा किया कि उसके पास सिर्फ एक ही कुत्ता है और मेडिकल रिपोर्ट में कोई बाहरी चोट नहीं पायी गयी. न्यायमूर्ति उदय कुमार ने अपने फैसले में कहा कि किसी शख्स पर कुत्ते का हमला गंभीर चोट या जान का खतरा भी पैदा कर सकता है, इसलिए पालतू जानवर के मालिक की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह पूरी सावधानी बरते और ऐसा कोई मौका न दे, जिससे उसके जानवर से किसी को हानि हो. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में जांच सही हुई या नहीं, यह बात ट्रायल कोर्ट में ही सामने आयेगी. हाइकोर्ट ने कहा कि भले ही मेडिकल रिपोर्ट में कोई साफ चोट नहीं दिख रही हो, लेकिन शिकायत में यह कहा गया है कि शिकायतकर्ता को कुत्तों के झुंड ने घेर लिया और वह छत से गिर कर घायल हुआ. इससे अंदरूनी चोट या मानसिक आघात भी हो सकता है.

छत पर कुत्तों को खुला छोड़ना चिंता का विषय : न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि शिकायत में उठायी गयी चिंता अहम है. अगर कोई व्यक्ति कई कुत्तों को छत पर खुला छोड़ देता है, तो वह न सिर्फ आस-पास के लोगों के लिए डर पैदा कर सकता है, बल्कि उनकी जान को भी खतरा हो सकता है. यह समाज की सुरक्षा से जुड़ा मामला बन जाता है. अदालत ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 289 के तहत किसी जानवर के मालिक की यह कानूनी जिम्मेदारी होती है कि वह किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाये. यह धारा इस बात पर जोर देती है कि मालिक को या तो जानवर की आदतों की जानकारी होनी चाहिए, या फिर वह लापरवाही नहीं बरत सकता.

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