डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से बशीरहाट के झींगा मछली पालकों की समस्या बढ़ी

लाखों के नुकसान की आशंका, हजारों परिवारों की आजीविका पर खतरा

By SANDIP TIWARI | August 29, 2025 10:52 PM

लाखों के नुकसान की आशंका, हजारों परिवारों की आजीविका पर खतरा

बशीरहाट. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नयी टैरिफ नीति ने बशीरहाट के झींगा मछली उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है. अचानक बढ़े आयात शुल्क से झींगा निर्यात लगभग ठप हो गया है और लाखों रुपये के नुकसान की आशंका जतायी जा रही है. भारतीय झींगा उत्पादों पर आयात शुल्क पहले 8.2 प्रतिशत था, जिसे बढ़ाकर पहले 25 प्रतिशत और अब 50 प्रतिशत कर दिया गया है. यह दर 27 अगस्त से लागू हो चुकी है. सीधे तौर पर इसका असर बशीरहाट के झींगा निर्यातकों, मछुआरों और व्यापारियों पर पड़ा है. लंबे समय से अमेरिका बशीरहाट के बागदा, गलदा और बेनामी झींगे का प्रमुख बाजार रहा है. यहां के मालंचा, त्रिमोहिनी, हसनाबाद, सरबेरिया, इटिंडा, तेंतुलिया और शारदापुल स्थित गोदामों से हर हफ्ते कई सौ करोड़ रुपये के झींगे का निर्यात होता था. देश के कुल झींगा निर्यात का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा यहीं से आता है. लेकिन टैरिफ बढ़ने के कारण अमेरिका में झींगा उचित दाम पर बिक नहीं पा रहा. नतीजतन निर्यातक अब माल रोकने को मजबूर हैं. स्थानीय निर्यातक बाबू गाजी ने कहा, “नये सिरे से टैरिफ लागू होने के बाद हमें चिंता है कि क्या हम इस कारोबार को जारी रख पायेंगे.” एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “मैंने झींगा मछली उत्पादन के लिए कई लाख रुपये का ऋण लिया है. अगर हमें निर्यात मूल्य नहीं मिला, तो हम बर्बाद हो जायेंगे.” किसानों और पालकों का कहना है कि बिजली, जमीन का किराया, भोजन और ऋण चुकाने की अतिरिक्त लागत पहले से ही भारी है. अब टैरिफ संकट ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. टैरिफ वृद्धि से भारत के प्रतिद्वंद्वी इक्वाडोर को सीधा लाभ होगा.

वहां झींगा पर केवल 15 प्रतिशत टैरिफ है, जिससे अमेरिकी बाजार पर उनका कब्जा और मजबूत हो सकता है. झींगा उद्योग से बशीरहाट तटीय क्षेत्र के लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. यदि वैकल्पिक निर्यात बाजार जल्द नहीं मिला, तो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और हजारों परिवारों की आजीविका गहरे संकट में पड़ जायेगी.

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