नवीनीकरण की थीम पर बना लेकटाउन श्रीपल्ली वेलफेयर एसोसिएशन का मंडप
महानगर बदल गया है. महानगरवासियों की जीवनशैली भी बदल गयी है. साथ ही, मां की पूजा के तौर-तरीके भी बदल गये हैं.
कोलकाता. महानगर बदल गया है. महानगरवासियों की जीवनशैली भी बदल गयी है. साथ ही, मां की पूजा के तौर-तरीके भी बदल गये हैं. यहां तक कि 50-55 साल पहले महानगर में जिस तरह से दुर्गापूजा मनायी जाती थी, अब उसका स्वरूप भी पूरी तरह से बदल गया है. हालांकि पूजा के मंत्र और अनुष्ठान आज भी पुरानी परंपरा के अनुसार है, लेकिन परंपरागत पूजा अब कलात्मक या विषयगत विचारों का कैनवास बन गयी है. इसी नवीनीकरण को पंडाल में दिखाया गया है. यह जानकारी लेकटाउन श्रीपल्ली वेलफेयर एसोसिएशन पूजा कमेटी के अध्यक्ष शिशेंदु हाजरा ने दी. उन्होंने बताया कि पूजा अब 58वें वर्ष में प्रवेश कर गयी है. पुराने को सम्मान देने और उसमें नयापन भरने के इस निरंतर प्रयास ने कोलकाता की पूजा को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाली दुर्गापूजा से बहुत अलग कर दिया है. भले ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बंगाली पुरानी परंपरा से मां की पूजा करते हैं, लेकिन कोलकाता की पूजा धीरे-धीरे पूरी दुनिया में बेजोड़ हो गयी है. लेकटाउन शहर का एक ऐसा हिस्सा है, जिसका जन्म आजादी से पहले हुआ था. लेकिन मुख्यतः विभाजन के बाद बसा. वहां से इस क्षेत्र की पूजा धीरे-धीरे एक ऐसे स्थान पर आ गयी है, जहां यह महानगर की पूजा को टक्कर दे सकती है, जिसमें श्रीपल्ली वेलफेयर एसोसिएशन का योगदान निश्चित रूप से उपलब्धि का योगदान है. युग के परिवर्तन ने लोगों की कई आदतों में बदलाव देखा है. अखबारों से लेकर रेडियो तक. वहां से टेलीविजन तक, फिर हाथों में पकड़े मोबाइल फोन से लेकर आधुनिक स्मार्टफोन तक. प्रौद्योगिकी के हाथों से यह विकास या बदलती आदतें हमारे जीवन का नवीनीकरण हैं.
यह परिवर्तन कैसे शुरू हुआ? इस परिवर्तन का नवीनतम स्वरूप क्या है? भविष्य में इसका स्वरूप क्या होने वाला है. लेकटाउन श्रीपल्ली वेलफेयर एसोसिएशन इस विकास या नवीनीकरण थीम पर पंडाल तैयार किया है, जो लोगों को बहुत आकर्षित करेगी. नवीनीकरण थीम पर पूजा कमेटी ने सभी को नये के साथ जुड़ने व पुरानी समृद्ध परंपराओं को जीवित रखने का संदेश दिया है.
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