मौत को हराकर मरीज को मिली नयी जिंदगी

यह जटिल चार घंटे लंबी सर्जरी नानावती मैक्स के लिवर और मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ गौरव चौबल के नेतृत्व में एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने की.

By GANESH MAHTO | October 6, 2025 12:49 AM

कोलकाता. नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, मुंबई के डॉक्टरों ने 25 वर्षीय कोलकाता निवासी ऋषि शर्मा को नयी जिंदगी दी है. बचपन से टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे ऋषि का सफल साइमल्टेनियस पैंक्रियाज-किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, जिससे वह अब जीवनभर के लिए इंसुलिन इंजेक्शनों और साप्ताहिक डायलिसिस से मुक्त हो गये हैं. यह जटिल चार घंटे लंबी सर्जरी नानावती मैक्स के लिवर और मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ गौरव चौबल के नेतृत्व में एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने की. बचपन से ही ऋषि रोजाना कई बार इंसुलिन पर निर्भर थे. समय के साथ अनियंत्रित डायबिटीज के कारण उन्हें आंखों की क्षति और विकास में रुकावट जैसी जटिलताएं हुईं. लगभग तीन वर्ष पूर्व उनकी किडनी पूरी तरह फेल हो गयी और वे डायलिसिस पर निर्भर हो गये. कई शहरों में उपचार की कोशिशों के बाद उनका परिवार अंततः मुंबई स्थित नानावती मैक्स हॉस्पिटल पहुंचा और डॉ चौबल से परामर्श लिया. विस्तृत जांच में यह तय हुआ कि ऋषि के लिए एकसाथ पैंक्रियाज और किडनी ट्रांसप्लांट ही जीवन का सबसे सुरक्षित विकल्प था. उन्हें ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा सूची में रखा गया. छह महीने बाद एक 41 वर्षीय व्यक्ति को इंट्राक्रैनियल ब्लीडिंग के कारण ब्रेन-डेड घोषित किया गया. परिवार ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए पैंक्रियाज, किडनी, लिवर और हृदय दान करने का निर्णय लिया. ऋषि का बायोलॉजिकल मैच पैंक्रियाज और किडनी के लिए उपयुक्त पाया गया और सफल एसपीके ट्रांसप्लांट किया गया. डॉ गौरव चौबल ने कहा, “हर डायबिटिक किडनी फेलियर मरीज इस प्रकार के साइमल्टेनियस पैंक्रियाज-किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त नहीं होता. यह प्रक्रिया केवल उन मरीजों के लिए सिफारिश की जाती है जिन्हें इंसुलिन पर निर्भर टाइप-1 डायबिटीज है और जिनमें एंड-स्टेज किडनी डिजीज विकसित हो चुकी है. दोनों अंगों को एकसाथ ट्रांसप्लांट करके हमने न केवल उनकी किडनी फेलियर की समस्या का समाधान किया, बल्कि मूल मेटाबॉलिक गड़बड़ी को भी सुधारा. यही कारण है कि वह अब इंसुलिन से पूरी तरह मुक्त हो गये.” चार घंटे चली सर्जरी के बाद ऋषि को 21 दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी.

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