बंगाल में राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना विफल ! वित्तीय वर्ष 2020-21 में नहीं मिली कोई राशि

Bengal news, Kolkata news : एलोपैथिक की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति आयुष आज पश्चिम बंगाल में विफल साबित हो रही है. राष्ट्रीय आशुष मिशन योजना को राज्य में प्रशासनिक तौर पर कोई अहमियत नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि केंद्र सरकार की ओर से राज्य को एक बड़ी रकम आवंटित की गयी थी. लेकिन उस राशि का सही इस्तेमाल नहीं हो पाया है. सूचना का अधिकार (RTI) के तहत इसका खुलासा हुआ है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2020 9:29 PM

Bengal news, Kolkata news : कोलकाता : एलोपैथिक की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति आयुष आज पश्चिम बंगाल में विफल साबित हो रही है. राष्ट्रीय आशुष मिशन योजना को राज्य में प्रशासनिक तौर पर कोई अहमियत नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि केंद्र सरकार की ओर से राज्य को एक बड़ी रकम आवंटित की गयी थी. लेकिन उस राशि का सही इस्तेमाल नहीं हो पाया है. सूचना का अधिकार (RTI) के तहत इसका खुलासा हुआ है.

आयुष यानी आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी. इसे एलोपैथिक की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में देखा जाता है. देश में इस चिकित्सा पद्धति के तहत रोगों की रोकथाम एवं उपचार के लिए कापुी गुण मौजूद है. इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने 15 सितंबर, 2014 राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरुआत की.

महामारी के दौर में आयुष चिकित्सा पद्धति संजीवनी बनी हुई है. आयुर्वेद काढ़ा कोविड के लिए कारगर सिद्ध हो रहा है. एलोपैथी चिकित्साकर्मी भी इसे पी रहे हैं और इसका परिणाम जग-जाहिर भी है. इसके बावजूद पश्चिम बंगाल में आयुष चिकित्सा को प्रशासनिक तौर पर कोई अहमियत नहीं मिल रहा है. इसका प्रमाण है राज्य में राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना का असफल होना. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य को एक बड़ी रकम आवंटित की गयी थी, लेकिन उस राशि का सही इस्तेमाल नहीं हो पाया.

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क्या है मामला

बतौर वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में सरकार द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में प्रभावी गुणवत्तापूर्ण आयुष सेवाएं प्रदान करने तथा भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में मानव शक्ति की कमी की समस्या का समाधान करने के उद्देश्य के साथ केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) को आरंभ किया. केंद्र की इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल में भी आयुष के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है. इस योजना के तहत केंद्र एवं राज्य सरकार को 60:40 के अनुपात में खर्च करना पड़ता है. लेकिन, सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मिली है वो चौंकाने वाली है.

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-2015 से 2019-2020 तक केंद्र सरकार द्वारा राज्य को 94 करोड़ 90 लाख 94 हजार 300 रुपये की राशि दी गयी थी. पर, राज्य सरकार 46 करोड़ 73 लाख 56 हजार 200 रुपये ही खर्च कर पायी है. इसमें से 18 करोड़ 86 लाख 600 रुपये के खर्च का कोई हिसाब सरकार के पास नहीं है. शेष बचे 48 करोड़ 17 लाख 38 हजार 200 रुपये की राशि विकास की राह देखती रह गयी. पश्चिम बंगाल में एनएएम योजना के प्रति राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये को देखते हुए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कोई भी राशि आवंटित नहीं की है.

इस विषय पर कोलकाता के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ इंद्रनील खाल का कहना है कि राज्य में आयुष के विकास के लिए ही एनएएम योजना की शुरुआत हुई. इसके लिए केंद्र से धनराशि भी मुहैया करायी गयी है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बदले केंद्र पर फंड नहीं देने का आरोप लगाती है.

उधर, इस विषय पर होम्योपैथी चिकित्सक प्रो डॉ सुजय पालित कहते हैं कि राज्य सरकार खर्च का ब्योरा नहीं देना चाहती, पर उसे पैसे समय पर चाहिए. सरकार के इस रवैये की वजह से राज्य में आयुष मिशन योजना का यह हाल बेहाल है. गौरतलब है कि सूचना के अधिकार के तहत 30 जून, 2020 तक की जानकारी दी गयी है. सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के जवाब में केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने उक्त जानकारी दी है.

Posted By : Samir Ranjan.

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