मतुआ समुदाय के समर्थन में आये सांसद
इसी मांग को लेकर उन्होंने राणाघाट में मतुआ समुदाय के लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन किया.
कल्याणी. राणाघाट लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा है कि 2024 तक अपने धर्म की रक्षा के लिए भारत आये सभी लोगों को नागरिकता दी जानी चाहिए. उनका कहना है कि जो लोग आज भी पश्चिम बंगाल आ रहे हैं, उन्हें भी नागरिकता मिलनी चाहिए. अगर नागरिकता नहीं दी गयी, तो भूख हड़ताल की चेतावनी दी गयी है. इसी मांग को लेकर उन्होंने राणाघाट में मतुआ समुदाय के लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन किया.
नागरिकता को लेकर बढ़ी हलचल
मतुआ समुदाय इस मुद्दे पर पहले से ही ठाकुरबाड़ी में आंदोलनरत है. तृणमूल सांसद ममता बाला ठाकुर के नेतृत्व में दिल्ली जाने की भी तैयारी है. इसी बीच राणाघाट के सांसद जगन्नाथ सरकार ने अपने क्षेत्र में भी वही मांग उठाते हुए कहा कि बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आये लोगों को नागरिकता मिलनी चाहिए. उनके अनुसार बहुतों ने वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए पैसे दिये, लेकिन नाम नहीं जुड़ पाया. अधिकारों से वंचित होने की पीड़ा को लेकर जुलूस निकाला गया.राजनीतिक पृष्ठभूमि और आरोप
राणाघाट सीट पर 2019 में भाजपा ने जीत हासिल की थी. जगन्नाथ सरकार ने मुकुटमणि अधिकारी को हराया था. उनका कहना है कि सभी शरणार्थियों को सीएए के माध्यम से नागरिकता मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो बांग्लादेश में “होमलैंड ” की मांग भी उठ सकती है. संसद में उठेगी मांग: सांसद का कहना है कि शीतकालीन सत्र में वह मांग करेंगे कि पश्चिम बंगाल से भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में प्रताड़ित होकर आये मतुआ और हिंदुओं को सीएए के तहत नागरिकता दी जाये. केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर और सुब्रत ठाकुर भी नागरिकता देने का आश्वासन दे चुके हैं, जबकि तृणमूल इस पर सवाल उठा रही है.वोटर लिस्ट और दस्तावेजों को लेकर दहशत
चुनाव आयोग स्पष्ट कर चुका है कि जिनका या जिनके माता-पिता का नाम 2002 की वोटर लिस्ट में नहीं है, उन्हें आयोग द्वारा निर्दिष्ट दस्तावेजों में से कम से कम एक जमा करना होगा. अन्यथा नाम नहीं जुड़ सकेगा. इसी कारण मतुआ समुदाय में दहशत फैल गयी है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आंदोलन में शामिल हो चुके हैं और उन्होंने गृह मंत्री को पत्र लिखकर मतुआ लोगों की नागरिकता की रक्षा के लिए अध्यादेश की मांग की है. इस संदर्भ में जगन्नाथ सरकार का बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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