भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने में राज्य सरकार की भूमिका पर हाइकोर्ट ने उठाये सवाल
अदालत ने इससे पहले राज्य सरकार को सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों और बाड़ निर्माण की प्रगति से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था.
राज्य ने मांगा फिर समय, कोर्ट बोला- राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला, देरी बर्दाश्त नहीं कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के रवैये पर नाराजगी जतायी है. अदालत ने इससे पहले राज्य सरकार को सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों और बाड़ निर्माण की प्रगति से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य से पूछा था कि सीमा के कितने हिस्से में बाड़ लग चुकी है और कितनी जमीन इसके लिए आवंटित की गयी है. लेकिन शुक्रवार को राज्य सरकार ने जवाब प्रस्तुत करने के बजाय अतिरिक्त समय की मांग की, जिस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने असंतोष व्यक्त किया. अदालत ने कहा, “राज्य सरकार इससे पहले भी समय ले चुकी है. हमने राज्य से सकारात्मक रिपोर्ट चाही थी. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तार लगाने का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है. इतने गंभीर मामले में और समय नहीं दिया जा सकता.” हालांकि, अदालत ने तत्पश्चात राज्य सरकार को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय प्रदान किया. साथ ही चेतावनी दी कि अगर रिपोर्ट में सकारात्मक प्रगति न मिली तो मामले की विस्तृत और लंबी सुनवाई होगी. इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद बाड़ निर्माण हेतु आवश्यक जमीन खरीदने के लिए धनराशि भी जारी की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद राज्य की ओर से कोई ठोस पहल शुरू नहीं की गयी. दूसरी ओर, एक अन्य मामले में सुनवाई के सिलसिले में शुक्रवार को हाइकोर्ट पहुंचे केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुकांत मजूमदार ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “तृणमूल कांग्रेस सरकार बंगाल में घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार की वजह से सीमा पर बाड़ लगाने का काम अटका हुआ है. ऐसा गंभीर मुद्दा होने के बावजूद राज्य बार-बार समय मांग रहा है. यह स्वीकार्य नहीं है.” मजूमदार ने अदालत से इस मामले में सख्त आदेश जारी करने की अपील की.
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