विश्वकर्मा पूजा पर खामोशी में डूबा रहा डनलप कारखाना
देश का पहला टायर कारखाना 2011 से ठप
देश का पहला टायर कारखाना 2011 से ठप हुगली. कभी औद्योगिक गौरव का प्रतीक रहा हुगली का साहागंज आज खामोशी में डूबा है. गंगा (हुगली नदी) के किनारे बसा हुगली का औद्योगिक क्षेत्र कभी जूट मिल और भारी कारखानों के कारण गुलजार रहता था, लेकिन बुधवार को विश्वकर्मा पूजा के दिन बंद पड़े डनलप टायर कारखाने के जंग लगे गेट के सामने जब पुराने मजदूर हाथ जोड़कर खड़े हुए, तो बीते दिनों की चमक-दमक उनकी आंखों में तैर उठी. बीते गौरव की यादें: देश का पहला टायर बनाने वाला यह प्रतिष्ठान मजदूरों के लिए सिर्फ कामकाज की जगह नहीं था, बल्कि उनकी पहचान था. 2011 में उत्पादन ठप होने और 2017 में अदालत के आदेश से परिसमापन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से यहां सिर्फ वीरानी है. हजारों परिवारों की आजीविका छिन गयी, मजदूर अब भी पीएफ और ग्रेच्युटी के बकाये के लिए लड़ रहे हैं. पुराने श्रमिक याद करते हैं कि डनलप की विश्वकर्मा पूजा इलाके का सबसे बड़ा आयोजन होती थी. सप्ताहभर चलने वाले इस उत्सव में मेले, नाटक-थियेटर और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे. कारखाने का दरवाजा उस दिन सबके लिए खुला रहता था, आम लोग भी अंदर जाकर देखते थे कि टायर कैसे बनते हैं. मजदूर परिवारों के लिए यह पूजा किसी पर्व से कम नहीं थी. सेवानिवृत्त श्रमिक निर्मल सिंह भावुक होकर कहते हैं, पूरे परिसर में रोशनी, ढोल-नगाड़े और उत्सव का माहौल रहता था. आज यहां सिर्फ सन्नाटा है. अधिग्रहण की आस और वर्तमान संघर्ष हाल ही में राज्य सरकार ने विधानसभा में डनलप के अधिग्रहण का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं हुआ. फिलहाल कुछेक श्रमिकों को भत्ता दिया जा रहा है, मगर उससे गुजारा मुश्किल है. कारखाने के पश्चिमी गेट पर जंग खाई लोहे की पट्टिका पर अब भी ‘डनलप इंडिया लिमिटेड’ लिखा है. आसपास उग आयीं झाड़ियां और टूटी दीवारें बताती हैं कि कभी यहां कितनी रौनक थी. फिर भी विश्वकर्मा पूजा के दिन जब पूर्व श्रमिक गेट पर खड़े होकर प्रणाम करते हैं, तो उनकी एक ही कामना होती है, डनलप के फाटक फिर खुलें और वह सुनहरा दौर लौट आए. वही हाल हिंदमोटर की एमबैसेडर कार बनाने वाली मजदूरों के साथ है.
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