यूडीआइडी परियोजना से आठ साल बाद जुड़ी राज्य सरकार
अब राज्य के दिव्यांगों को भी राष्ट्रीय पहचान पत्र मिल रहा. लगभग आठ साल बाद राज्य सरकार ने अंततः केंद्र सरकार की यूनिक डिसेबिलिटी आइडेंटिटी कार्ड (यूडीआइडी) परियोजना में भागीदारी शुरू कर दी है.
कोलकाता
. अब राज्य के दिव्यांगों को भी राष्ट्रीय पहचान पत्र मिल रहा. लगभग आठ साल बाद राज्य सरकार ने अंततः केंद्र सरकार की यूनिक डिसेबिलिटी आइडेंटिटी कार्ड (यूडीआइडी) परियोजना में भागीदारी शुरू कर दी है. यह योजना मई 2016 में केंद्र द्वारा शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक दिव्यांग का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करना और उन्हें एक विशिष्ट पहचान पत्र प्रदान करना है, ताकि अधिकार, सुविधाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए बार-बार दस्तावेज जमा न करने पड़ें. पिछले नौ वर्षो तक इस प्रगतिशील पहल से अलग रहने के कारण राज्य के लाखों दिव्यांग इस सुविधा से वंचित रहे. बदलाव सितंबर 2024 में आया, जब राज्य सरकार ने इस परियोजना से औपचारिक रूप से हाथ मिला लिया. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, छह अगस्त 2025 तक पश्चिम बंगाल में एक लाख 50 हजार 901 यूडीआइडी कार्ड जारी किये जा चुके हैं, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में कुल 20 लाख 17 हजार 406 दिव्यांग हैं.यदि यूडीआइडी कार्ड परियोजना को सही तरीके से क्रियान्वयन, जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जायें, तो राज्य का प्रत्येक पात्र दिव्यांग नागरिक अब अपने हक की पहचान, गरिमा और सरकारी योजनाओं तक बिना रुकावट पहुंच प्राप्त कर सकेगा.
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