युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़ें और गैर पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए तैयार रहें

क्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सशस्त्र बलों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़ने और सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक व जैविक युद्ध जैसे गैर-पारंपरिक व अदृश्य खतरों से निपटने के लिए हमेशा सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया.

By BIJAY KUMAR | September 16, 2025 11:08 PM

कोलकाता.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सशस्त्र बलों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़ने और सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक व जैविक युद्ध जैसे गैर-पारंपरिक व अदृश्य खतरों से निपटने के लिए हमेशा सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया. कोलकाता में सेना की पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग में आयोजित भारतीय सशस्त्र बलों के 16वें संयुक्त कमांडर सम्मेलन (सीसीसी) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक अस्थिरता, क्षेत्रीय संकट और बदलते सुरक्षा परिदृश्य के बीच हमें निरंतर यह आंकलन करते रहना होगा कि विश्व में हो रहे बदलाव भारत की सुरक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित कर रहे हैं.तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने जोर देकर कहा कि युद्ध का स्वरूप निरंतर बदल रहा है. आज के युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित होते हैं कि उनकी अवधि का अनुमान लगाना भी मुश्किल है. यह दो महीने, एक साल या पांच साल तक भी चल सकते हैं. ऐसे में हमें तैयार रहने की जरूरत है. हमें आपातकालीन सैन्य क्षमता पर्याप्त बनाये रखना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि आज की सेना को तकनीक-समर्थ होना चाहिए. भारत के रक्षा क्षेत्र को आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं का सम्मिश्रण बताते हुए उन्होंने सैन्य कमांडरों से सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित सुदर्शन चक्र का निर्माण करने की दिशा में प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक समिति गठित की गयी है. उन्होंने इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अगले पांच और दस वर्षों के लिए एक मध्यम अवधि एवं दीर्घकालिक योजना बनाने का सुझाव दिया.

रक्षा क्षेत्र में ‘जय’ मंत्र पर जोर

रक्षा मंत्री ने देश के रक्षा क्षेत्र को आधुनिकीकरण, परिचालन तत्परता, तकनीकी श्रेष्ठता और विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता पर केंद्रित बताया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सोमवार को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दिये गये ‘जेएआइ’ यानी जय (संयुक्तता, आत्मनिर्भरता व नवाचार) के मंत्र पर काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उद्योग और शिक्षा जगत से गहरे जुड़ाव की भी वकालत की. रक्षा मंत्री ने एक मजबूत रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और निजी क्षेत्र की भूमिका को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता जतायी ताकि भारत का रक्षा उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे श्रेष्ठ बन सके.

त्रि-सेवा एकजुटता और नागरिक-सैन्य समन्वय पर विशेष बल

रक्षा मंत्री ने भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों के साथ-साथ अन्य एजेंसियों के बीच संयुक्तता और तालमेल के महत्व पर भी जोर देते हुए इसे आवश्यक बताया. उन्होंने रक्षा क्षेत्र में एकीकरण और संयुक्तता को बढ़ावा देने के लिए त्रि-सेवा लाजिस्टिक्स नोड्स और त्रि-सेवा लाजिस्टिक्स प्रबंधन एप्लिकेशन के निर्माण का उल्लेख किया. साथ ही कहा कि नागरिक-सैन्य सहयोग को भी बढ़ाया जा रहा है.

आत्मनिर्भर भारत की ताकत- आपरेशन सिंदूर की सफलता से सिद्ध

रक्षा मंत्री ने आपरेशन सिंदूर की सफलता का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि आपरेशन सिंदूर ने प्रदर्शित किया है कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता ही 21वीं सदी के भारत की असली ताकत हैं. भारत अब अपनी देशी तकनीकों, प्लेटफार्मों और बहादुर सैनिकों के बल पर किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत कोई नारा नहीं, बल्कि रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए अनिवार्यता है, जो न सिर्फ देश की रक्षा क्षमता बढ़ा रहा है बल्कि स्वदेशीकरण, रोजगार, आर्थिक विकास और रक्षा उद्योग का विस्तार भी कर रहा है.

रक्षा खरीद प्रणाली में किया जा रहा सुधार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा खरीद नियमावली 2025 को अपनी मंजूरी देने की भी जानकारी दी, जिसका उद्देश्य खरीद प्रक्रिया को सुगम, पारदर्शी और तेज बनाना है. उन्होंने कहा कि रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 को भी संशोधित किया जा रहा है ताकि सशस्त्र बलों को जल्द से जल्द आपरेशनल मजबूती दी जा सके.

कार्यक्रम में शीर्ष सैन्य अधिकारी रहे मौजूद

इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार, डीआरडीओ चेयरमैन डॉ समीर वी कामत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

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