हाइकोर्ट ने बच्चे की हत्या के मामले में आंध्र के दंपती की मौत की सजा उम्रकैद में बदली

कलकत्ता हाइकोर्ट ने एक वर्षीय बच्चे की हत्या के दोषी आंध्र प्रदेश के एक दंपती को सुनायी गयी मौत की सजा को बिना किसी छूट के कम से कम 40 वर्ष के आजीवन कारावास में बदल दिया है.

By AKHILESH KUMAR SINGH | August 25, 2025 2:05 AM

संवाददाता, कोलकाता

कलकत्ता हाइकोर्ट ने एक वर्षीय बच्चे की हत्या के दोषी आंध्र प्रदेश के एक दंपती को सुनायी गयी मौत की सजा को बिना किसी छूट के कम से कम 40 वर्ष के आजीवन कारावास में बदल दिया है. अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता एसके हसीना सुल्ताना और एसके वन्नूर शा की ओर से हावड़ा स्थित अदालत के क्षेत्राधिकार के संबंध में उठायी गयी आपत्तियां ‘निराधार’ हैं. पीठ ने माना कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है. अदालत ने फैसले में कहा: मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं कि मृत्युदंड के अलावा कोई भी अन्य सजा अपर्याप्त होगी. न्यायमूर्ति देबांग्सु बसाक की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा: इस मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, हम अपीलकर्ताओं को दी गयी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के पक्ष में हैं. पीठ में न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी भी शामिल थे. अदालत ने कहा कि अपीलकर्ताओं की आयु तथा अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आजीवन कारावास का अर्थ होगा उनकी गिरफ्तारी की तारीख से 40 वर्ष तक बिना किसी छूट के आजीवन कारावास. पीठ ने कहा कि मामले के तथ्य और परिस्थितियां इसे दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के अनुसार हावड़ा की अदालत द्वारा विचारणीय बनाती हैं. हावड़ा की फास्ट ट्रैक अदालत ने 27 फरवरी, 2024 को दपंती को दोषी ठहराया था. उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि को कायम रखते हुए कहा कि उसे अपने निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं मिलता है, जहां तक यह भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्यों को नष्ट करना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए अपीलकर्ताओं की दोषसिद्धि से संबंधित है. सजा कम करते हुए, खंडपीठ ने कहा कि वन्नूर शा की उम्र लगभग 37 वर्ष और हसीना सुल्ताना की उम्र 34 वर्ष है, और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. पीठ ने कहा: माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में यह निर्धारित किया है कि मृत्युदंड का सहारा असाधारण परिस्थितियों में ही लिया जाना चाहिए, जहां सजा सुनाने वाली अदालत यह निष्कर्ष निकाल सके कि मामला ‘अत्यंत दुर्लभतम’ मामलों की श्रेणी में आता है और दोषी के सुधार की संभावना समाप्त हो गयी है.

इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि 22 दिसंबर, 2015 को हसीना के घर से लापता होने के बाद, उसकी मां की शिकायत के बाद आंध्र प्रदेश के तेनाली-1 टाउन पुलिस स्टेशन से हसीना और उसके बच्चे के नाम पर एक लुकआउट नोटिस जारी किया गया था. बाद में पश्चिम बंगाल पुलिस के जांच अधिकारी ने हसीना को उसकी मां के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ करने पर उसने खुलासा किया कि उसने वन्नूर शा से शादी कर ली है और हैदराबाद में किराये के मकान में उसके साथ रहती है. अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत में बताया कि बच्चा हसीना और एक अन्य व्यक्ति के बीच विवाहेतर संबंध से पैदा हुआ था, लेकिन उस रिश्ते में खटास आने के बाद वह अपनी मां के साथ रह रहा था. यह दावा किया गया कि हसीना ने यह भी खुलासा किया कि बच्चा रोता था, जिस पर हैदराबाद में उनके मकान मालिक विरोध करते थे. अभियोजन पक्ष ने कहा कि इसी कारण से दोनों अपीलकर्ता बच्चे को पीटते थे. उन्होंने बताया कि एक दिन बच्चे को बुखार था, जिसके लिए उसे मारपीट के बाद कोई दवा दी गयी थी. अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस तरह की मारपीट और दवा देने के कारण बच्चे की मौत हो गयी. इसके बाद वन्नूर शा ने शव को एक बैग में पैक किया और उसे फलकनुमा एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में छोड़ दिया, अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत में प्रस्तुत किया.

क्या कहा अदालत ने

हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति देबांग्सु बसाक की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा: इस मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, हम अपीलकर्ताओं को दी गयी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के पक्ष में हैं. पीठ में न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी भी शामिल थे.

बच्चे के शव को फलकनामा एक्सप्रेस में रख दिया था

अभियोजन के मुताबिक अपीलकर्ताओं ने तेलंगाना के सिकंदराबाद में बच्चे की हत्या कर दी और शव को एक बैग में पैक करके जनवरी 2016 में हावड़ा जाने वाली फलकनामा एक्सप्रेस में रख दिया. पुलिस ने 24 जनवरी 2016 को हावड़ा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से बच्चे के शव से भरा बैग बरामद किया गया, जिस पर चोट के निशान थे. इस घटना के संबंध में हत्या का मामला दर्ज किया गया.

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